
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : दिल्ली के 20 से ज़्यादा स्कूलों को आज बम से उड़ाने की धमकी मिली है। इनमें पश्चिम विहार इलाके के एक स्कूल, रोहिणी सेक्टर 3 स्थित अभिनव पब्लिक स्कूल समेत शहर के 20 से ज़्यादा स्कूलों को धमकी भरे मेल मिले हैं। धमकी मिलने के बाद हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही दमकल विभाग और दिल्ली पुलिस मौके पर पहुँची और परिसर की जाँच शुरू कर दी। अब तक दस से ज़्यादा स्कूलों में जाँच पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने मेल भेजने वाले की गिरफ़्तारी के लिए जाँच शुरू कर दी है।
इस बीच, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने ट्वीट कर राजधानी में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा, "आज 20 से ज़्यादा स्कूलों में बम की धमकियाँ मिली हैं! सोचिए बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों को कितना सदमा पहुँच रहा होगा। दिल्ली में भाजपा के चार इंजन हैं, फिर भी वह हमारे बच्चों को कोई सुरक्षा नहीं दे पा रही है। यह बेहद चौंकाने वाला है।"
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में स्कूल-कॉलेजों को बम से उड़ाने की धमकियाँ लगातार मिल रही हैं। इन धमकियों से छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में दहशत फैल गई है। हैरानी की बात यह है कि ये धमकियाँ ईमेल के ज़रिए भेजी जा रही हैं, जिसके चलते दिल्ली पुलिस और बम निरोधक दस्ता सतर्क हो गया है। इस हफ़्ते के पहले तीन दिनों में 11 स्कूलों और एक कॉलेज को ऐसे ही मेल मिले थे। इसके बाद आज, शुक्रवार को फिर से 20 से ज़्यादा स्कूलों को मेल मिले हैं।
दिल्ली के स्कूलों और कॉलेजों में पिछले तीन दिनों से बम की धमकियाँ मिल रही हैं, जिससे पुलिस के लिए काफ़ी परेशानी खड़ी हो गई है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ये धमकी भरे ईमेल एक 'एन्क्रिप्टेड नेटवर्क' (ऐसा सिस्टम जिसमें कोई तीसरा पक्ष प्रवेश नहीं कर सकता) के ज़रिए भेजे जाते हैं, जिससे इनके स्रोत का पता लगाना काफ़ी मुश्किल हो गया है।
दिल्ली पुलिस के साइबर विशेषज्ञों और धमकियों की जाँच कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि धमकियाँ भेजने वाले 'वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क' (वीपीएन) और 'डार्क वेब' का इस्तेमाल कर रहे हैं। 'डार्क वेब' आमतौर पर गूगल, बिंग जैसे सर्च इंजनों से दिखाई नहीं देता और इसे केवल विशेष सॉफ़्टवेयर के ज़रिए ही एक्सेस किया जा सकता है, जबकि ऑनलाइन गतिविधियों को 'वीपीएन' के ज़रिए छिपाया जाता है।
एक अधिकारी ने कहा, "डार्क वेब को ट्रेस करना शीशों से भरे कमरे में किसी परछाई का पीछा करने जैसा है। जैसे ही आपको लगता है कि आपको कोई सुराग मिल गया है, वह गुमनामी की एक और परत के पीछे गायब हो जाता है।"