
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : जब आजकल की शादियाँ दिखावे और करोड़ों रुपये खर्च करने का जरिया बन चुकी हैं, ऐसे में उत्तराखंड के चमोली ज़िले के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी और डॉ. पूजा की बेहद सादगी से हुई शादी समाज को एक नई सोच देती है।
ना कोई शोरगुल था, ना बैंड-बाजा, ना बरातीयों की भीड़ और ना ही महंगे आयोजन। इस शादी में सिर्फ दोनों परिवारों के कुछ सदस्य और जिला कार्यालय के चुनिंदा कर्मचारी मौजूद रहे — कुल मिलाकर करीब 30 लोग।
शादी के लिए डॉ. तिवारी ने मात्र तीन दिन की छुट्टी ली और इसके बावजूद वे अपने सरकारी कार्यों का निर्वहन करते रहे। उन्होंने मुख्यालय इसलिए नहीं छोड़ा क्योंकि चारधाम यात्रा का समय चल रहा है, और कभी भी उनकी आवश्यकता हो सकती थी।
बुधवार को डॉ. तिवारी और डॉ. पूजा ने चमोली कोर्ट में विवाह किया, और फिर सरकारी आवास में रस्में पूरी कीं। इसके बाद दोनों ने गोपीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपने नवजीवन की शुरुआत की।
मंदिर के पुजारी चंडी प्रसाद तिवारी से बातचीत में डॉ. तिवारी ने कहा, “हमारी सोच यही रही कि शादी केवल दो लोगों का नहीं, बल्कि दो विचारों और दो परिवारों का मेल होता है। दिखावे से ज़्यादा श्रद्धा और समझदारी ज़रूरी है।”
गुरुवार को उन्होंने विवाह का पंजीकरण यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पोर्टल पर भी करा दिया।
चार महीने पहले उनके परिजनों ने उनके लिए विवाह प्रस्ताव ढूंढना शुरू किया था। डॉ. पूजा हल्द्वानी के तीनपानी गाँव की रहने वाली हैं और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। शादी की तारीख 28 मई तय हुई थी।
इस दौरान, बदरीनाथ और हेमकुंड यात्रा की तैयारियों के चलते डॉ. तिवारी ने मुख्यालय छोड़ना उचित नहीं समझा और दोनों परिवारों को गोपेश्वर स्थित अपने सरकारी आवास में आमंत्रित किया।
डॉ. तिवारी मूल रूप से अल्मोड़ा से हैं और ईएनटी रोग विशेषज्ञ रह चुके हैं। 2017 बैच के IAS अधिकारी डॉ. तिवारी को 7 सितंबर 2024 को चमोली का जिलाधिकारी बनाया गया था। वे पहले कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक और नैनीताल जिले के सीडीओ भी रह चुके हैं।
जनहित से जुड़े कार्यों के चलते वे लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। दूर-दराज से आने वाले लोगों को वे अक्सर भोजन कराते हैं, किराया देते हैं और अपना मोबाइल नंबर देकर कहते हैं कि कोई भी समस्या हो तो सीधे उन्हें बताएं।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनकी नीतियों ने अन्य अधिकारियों को भी प्रेरित किया है। रास्ते में अगर कोई व्यक्ति अपनी समस्या लेकर खड़ा हो तो वे वहीं जनता दरबार लगा देते हैं। यह सादगी और सेवा का मिश्रण ही उन्हें जनता का सच्चा अधिकारी बनाता है।