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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और भारत के अन्य राज्यों में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। 6 अक्टूबर, 2025 तक, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में कम से कम 16 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि राजस्थान में चार और मौतें हुई हैं। इन मौतों का मुख्य कारण कफ सिरप में पाया जाने वाला एक जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) माना जा रहा है।

 डीईजी क्या है और इसे खांसी की दवा में क्यों मिलाया जाता है?

डायएथिलीन ग्लाइकॉल एक औद्योगिक  विलायक है  जिसका उपयोग एंटीफ्रीज़, ब्रेक फ्लुइड और पेंट उद्योग में किया जाता है। यह मनुष्यों के लिए बेहद खतरनाक है, लेकिन चूँकि यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध है, इसलिए कुछ निर्माता इसे दवाओं में मिलाते हैं। खांसी की दवाइयों में आमतौर पर प्रोपिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक सुरक्षित विलायक है - लेकिन ज़्यादा महंगा होता है। निर्माता इसे सस्ता बनाने के लिए डीईजी मिलाते हैं। बच्चों की मौत की खबरों के बाद, दवा के प्रयोगशाला परीक्षणों में 48.6 प्रतिशत डीईजी की मात्रा पाई गई।

इसका शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव किस प्रकार पड़ता है?

डीईजी शरीर में जमा हो जाता है और किडनी और लिवर के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। इससे लिवर और किडनी फेल होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इससे बच्चों में कई तरह के लक्षण हो सकते हैं, जैसे:                                                                                                       

- उल्टी और दस्त

- पेशाब कम होना या रुक जाना

- सांस लेने में दिक्क्त

- भ्रम और बेहोशी

- गुर्दे की विफलता और मृत्यु

माता-पिता को ये सावधानियां बरतनी चाहिए:

बच्चों को खांसी या ज़ुकाम होने पर कफ सिरप देने से बचें। खांसी के इलाज के लिए घरेलू उपाय फायदेमंद हो सकते हैं। इस दौरान अपने बच्चे को गर्म खाना खिलाएँ। हल्दी वाला दूध जितना हो सके गर्म दें और भाप दें।