
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड ऊर्जा निगम पिछले छह वर्षों में पांच साल लगातार घाटे में चल रहा है। निगम पर राज्य सरकार की देनदारी करीब 5000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है। खासतौर पर हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे बड़े जिलों में बिजली चोरी की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, जहाँ लाइन लॉस की दर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है।
इन गंभीर आर्थिक और परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने विशेषज्ञ संस्था मैकेंजी इंडिया द्वारा बनाई गई विस्तृत सुधार योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा निगम की वित्तीय स्थिति में स्थिरता और मजबूती लाना है। निगम के लगभग 5000 करोड़ रुपये के बकाए को कम करने के लिए ठोस रणनीति पर जोर दिया गया है।
सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग होगा सुनिश्चित
इस सुधार योजना का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों में लाइन लॉस को वर्तमान 16 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत तक लाना है। इसके लिए ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, बिजली वितरण और ट्रांसमिशन के बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार और उन्नयन जैसे उपाय शामिल हैं। निगम को लगभग 500 मेगावाट सौर ऊर्जा की खरीद करने की सलाह भी दी गई है, जिससे ऊर्जा लागत में कमी आएगी और पर्यावरण को भी लाभ होगा।
उपभोक्ता जागरुकता और डिजिटल सुधारों पर विशेष जोर
तीसरे उद्देश्य के तहत उपभोक्ताओं के बीच जागरुकता फैलाकर ग्राहक संतुष्टि और राजस्व संग्रह की दक्षता बढ़ाने पर बल दिया गया है। डिजिटल भुगतान और स्वचालित बिलिंग सिस्टम को बढ़ावा देकर राजस्व संग्रहण में वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी।
विनियामक आयोग के अस्वीकृत प्रस्ताव
हालांकि, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में निगम के लगभग 1140 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को खारिज कर दिया। कारण था, ट्रांसमिशन और वितरण हानि के लक्ष्य हासिल न होना और विद्युत निरीक्षक प्रमाणपत्रों में मौजूद विसंगतियां।
हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में बिजली चोरी रोकने हेतु सुझावित कदम:
- औद्योगिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों में प्रीपेड और स्मार्ट टैंपर-प्रूफ मीटर स्थापित किए जाएं।
- नियमित मीटर कैलिब्रेशन और उचित रखरखाव व्यवस्था लागू हो।
- उच्च हानि वाले क्षेत्रों में पुराने और दोषपूर्ण मीटरों को तुरंत बदला जाए।
- डिजिटल भुगतान और स्वचालित बिलिंग प्रणाली लागू की जाए।
- नियमित औचक निरीक्षण और सतर्कता कार्यों को तेज किया जाए।
- रियल टाइम एनालिटिक्स और उपभोक्ता स्तर तक ऊर्जा ऑडिट की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।