Prabhat Vaibhav,Digital Desk : समय के साथ लोगों के शौक भी बदल गए हैं। आजकल बालों को रंगना लाखों लोगों के लिए रोज़मर्रा की ब्यूटी रूटीन बन गया है। कभी सफ़ेद बालों को छिपाने के लिए, तो कभी नया और ट्रेंडी लुक पाने के लिए। इससे न सिर्फ़ रूप-रंग बदलता है, बल्कि बहुत कम लोग जानते हैं कि हेयर डाई में मौजूद कुछ केमिकल सेहत पर, खासकर किडनी पर, बुरा असर डाल सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि इसका आपकी सेहत पर क्या असर पड़ता है।
गुर्दे कैसे प्रभावित होते हैं?
गुर्दे हमारे शरीर में एक प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करते हैं, जो रक्त से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं। जब हम अपने बालों को रंगते हैं, तो उनमें मौजूद कुछ रसायन खोपड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और रक्तप्रवाह तक पहुँच सकते हैं। पैरा-फेनिलेनेडियम और अमीनो फिनोल जैसे रसायन सिंथेटिक रंगों में मौजूद होने के कारण उन्हें बहुत नुकसान पहुँचाते हैं। अगर रंग का बार-बार और गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह गुर्दे की छानने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और सूजन या हल्की सूजन पैदा कर सकता है। जर्नल ऑफ द पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पीपीडी के उच्च स्तर के संपर्क से गुर्दे की गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं, जिनमें तीव्र गुर्दे की विफलता भी शामिल है।
आपको कब सावधान रहना चाहिए?
हर बार जब आप अपने बालों को रंगते हैं, तो ज़रूरी नहीं कि इसका असर आपकी किडनी पर भी पड़े। तो आइए समझते हैं कि कब सावधान रहना चाहिए। अगर रंग में मौजूद रसायन आपके शरीर पर असर करते हैं, तो आपको कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे पैरों, टखनों या हाथों में सूजन, थकान या कमज़ोरी, भूख न लगना या लगातार मतली, पेशाब में बदलाव और आँखों के आसपास सूजन। अगर ये लक्षण बने रहें, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
किसे सावधान रहना चाहिए?
अब बात करते हैं कि किन लोगों को सावधान रहने की ज़रूरत है। इनमें क्रोनिक किडनी रोग या रक्तचाप की समस्या वाले लोग शामिल हैं। दूसरे, मधुमेह रोगियों को सावधान रहने की ज़रूरत है। तीसरे, संवेदनशील त्वचा वाले या एलर्जी से पीड़ित लोगों को सावधान रहने की ज़रूरत है। चौथे और अंतिम, वे लोग जो अक्सर रंगों का इस्तेमाल करते हैं या बहुत गहरे रंगों का इस्तेमाल करते हैं।
सुरक्षित विकल्प
अगर आप किडनी की किसी भी समस्या से बचना चाहते हैं, तो आपको कई कदम उठाने चाहिए, जिनमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल बढ़ाना भी शामिल है। अगर आप बाज़ार से खरीद रहे हैं, तो अमोनिया-मुक्त और पीपीडी-मुक्त उत्पाद खरीदने की कोशिश करें और हर्बल टिंट या अर्ध-स्थायी रंगों का इस्तेमाल करें। एलर्जी के जोखिम से बचने के लिए हमेशा पैच टेस्ट ज़रूर करें।




