Prabhat Vaibhav,Digital Desk : मानिक सरकार घाट क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध निर्माण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि गंगा की गोद में मिट्टी भरकर सड़क बना दी गई है। इस मलबे और अवैध पुलिया निर्माण से गंगा की धारा प्रभावित हुई है और आसपास के इलाके में कटाव का खतरा बढ़ गया है।
कुछ दिन पहले जिलाधिकारी ने गंगा में मार्ग और पुलिया निर्माण की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की नाकामी से भू-माफिया अपनी मनमानी करते जा रहे हैं। इससे सरकार और जिला प्रशासन के प्रयासों को भी झटका लग सकता है, जो गंगा की मुख्य धारा को शहर की ओर लाने में लगे हैं।
अवैध निर्माण और पुलिया
मानिक सरकार घाट इलाके में कई भवन बिना नक्शा पास कराए बनाए गए।
नाथनगर दियारा तक अवैध पुलिया और मिट्टी का रास्ता बना दिया गया।
अब इस मार्ग पर ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और अन्य वाहन चल रहे हैं।
गंगा की धारा में बांध बन जाने से जल प्रवाह प्रभावित हुआ है और नाव परिचालन बाधित हो गया है।
इसके कारण क्रूज और पर्यटन गतिविधियों में भी दिक्कतें सामने आ रही हैं।
कटाव निरोधी कार्य पर अड़चन
गंगा का जलस्तर घटने के साथ ही तटबंध पर दरार का दायरा बढ़ रहा है। नगर निगम ने 350 मीटर तक तटबंध बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन विशेषज्ञता न होने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा।
मेयर डा. बसुंधरा लाल ने बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल और आपदा प्रबंधन विभाग को पत्र लिखा है।
नगर आयुक्त शुभम कुमार ने भी संबंधित विभाग को पत्र भेजा।
दरार का दायरा अब 100 फीट से बढ़कर 400 फीट हो गया है।
कटाव वाले हिस्से में भवन निर्माण भी जारी है, जिससे खतरा और बढ़ रहा है।
स्ट्राम वाटर ड्रेन ध्वस्त
शहरी वर्षा जल निकासी के लिए करीब 8 साल पहले स्ट्राम वाटर ड्रेन बनाया गया था, जिसकी लागत लगभग 40 करोड़ थी। अब नाले का 80 फीट हिस्सा ध्वस्त हो गया है।
नाले के नीचे से मिट्टी बह जाने के कारण यह स्थिति हुई।
निर्माण में छड़ का कम इस्तेमाल किया गया था।
नाला तीन हिस्सों में टूट गया है और छड़ दिखाई नहीं दे रही।
अब तकनीकी टीम से जांच और सुधार की आवश्यकता है।
इस स्थिति से न केवल गंगा की धारा प्रभावित हो रही है, बल्कि नगर निगम और प्रशासन की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है।




