
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : राजनगर एक्सटेंशन में रहने वाले एक दंपती साइबर अपराधियों के जाल में फंस गए, जब ठगों ने उन्हें करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी के झूठे मामले में फंसाने की धमकी देकर लगभग 9.55 लाख रुपये ठग लिए। साइबर अपराधियों ने खुद को दूरसंचार विभाग और पुलिस अधिकारी बताकर दंपती को 24 घंटे तक डिजिटल गिरफ्त में रखा।
13 मई को पीड़िता को एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन किया, जिसने खुद को दूरसंचार विभाग का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनका मोबाइल नंबर बंद हो जाएगा क्योंकि उनके खिलाफ मुंबई में केस दर्ज है। इसके बाद कॉल कथित तौर पर मुंबई पुलिस के अधिकारी 'समाधार पंवार' को ट्रांसफर की गई, जिसने उन्हें धमकाते हुए दावा किया कि पीड़िता के आधार नंबर से मुंबई के एक बैंक में 61 मिलियन डॉलर का खाता खोला गया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी में लिप्त है।
अपराधियों ने 'डिजिटल गिरफ्तारी' का झांसा देते हुए महिला के पति के बैंक खाते से महिला के खाते में पैसे ट्रांसफर कराए और फिर ठगों के बताए बैंक खाते में 9.55 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए। अपराधियों ने शेयर बेचकर पैसे ट्रांसफर करने का भी दबाव बनाया, लेकिन शक होने पर दंपती ने आगे कोई ट्रांसफर नहीं किया।
पीड़िता की शिकायत पर साइबर क्राइम पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि 'डिजिटल गिरफ्तारी' जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती और यह केवल धोखाधड़ी का तरीका है।
साइबर अपराध से बचाव के सुझाव:
फोन या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी का दावा करने वाले कॉल से सावधान रहें।
निजी और वित्तीय जानकारियां साझा न करें।
किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज का स्क्रीनशॉट लें।
साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
पीड़िता की शिकायत पर केस दर्ज कर पुलिस टीम जांच कर रही है। जिन मोबाइल नंबरों से बात हुई है उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। जिस खाते में धनराशि ट्रांसफर हुई है उसे फ्रीज कराया जा रहा है।
- पीयूष कुमार सिंह, एडीसीपी क्राइम