Prabhat Vaibhav,Digital Desk : चंडीगढ़ और आसपास के ट्राई-सिटी (पंचकूला, मोहाली) इलाकों में बैठे साइबर ठगों के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यहां कई कथित 'टेक-सपोर्ट' कॉल सेंटरों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। इन कॉल सेंटरों पर आरोप है कि वे विदेशियों को टेक्नोलॉजी सपोर्ट के नाम पर गुमराह कर करोड़ों रुपये ठग रहे थे।
कैसे हो रहा था यह फर्जीवाड़ा?
सूत्रों के अनुसार, ये फर्जी कॉल सेंटर एक सोची-समझी साजिश के तहत काम कर रहे थे। ये लोग विदेश में, खासकर पश्चिमी देशों के लोगों को निशाना बनाते थे। उन्हें फेक पॉप-अप और फोन कॉल के ज़रिए ऐसे मैसेज भेजे जाते थे कि उनके कंप्यूटर या मोबाइल में वायरस आ गया है, या उनका ऑनलाइन बैंक अकाउंट हैक हो गया है। डरे हुए लोग जब इन कॉल सेंटरों द्वारा दिए गए नंबरों पर फोन करते थे, तो उन्हें अपनी समस्या सुलझाने के नाम पर हजारों डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा जाता था।
पैसा आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी, गिफ्ट कार्ड या सीधे बैंक ट्रांसफर के ज़रिए लिया जाता था, जिसे ट्रैक करना मुश्किल होता है। बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े से करोड़ों रुपये का अवैध मुनाफा कमाया गया है, और इसका कनेक्शन बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग से भी हो सकता है।
ईडी ने चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली में एक साथ कई जगहों पर छापेमारी की। इस दौरान, डिजिटल उपकरणों, दस्तावेजों, नकद और बैंक खातों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई गई है। इन कॉल सेंटरों के पीछे कौन लोग हैं और इस रैकेट का पूरा नेटवर्क कैसे फैला हुआ है, इसकी जांच ईडी कर रही है। यह मामला दिखाता है कि डिजिटल युग में साइबर अपराध कितनी बड़ी चुनौती बन चुके हैं, और ऐसे फर्जीवाड़े से निपटने के लिए जांच एजेंसियों को कितनी चौकन्ना रहने की जरूरत है। इस कार्रवाई से साइबर धोखाधड़ी के बड़े नेटवर्क पर लगाम कसने में मदद मिलने की उम्मीद है।


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