Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार में सड़क कनेक्टिविटी को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाने की तैयारी हो रही है। पहली बार ऐसा होगा जब राज्य सरकार अपनी खुद की व्यवस्था के तहत प्रदेश में पांच नए एक्सप्रेस वे का निर्माण कराएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एक अलग एक्सप्रेसवे अथॉरिटी गठित करने पर गंभीर मंथन शुरू हो गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, यह पूरा प्रोजेक्ट सरकार की सात निश्चय-3 योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। इस दिशा में पथ निर्माण विभाग स्तर पर प्रारंभिक बैठक भी हो चुकी है।
जल्द तय होंगे एक्सप्रेस वे के रूट और लंबाई
अब सबसे अहम जिम्मेदारी पथ निर्माण विभाग के सामने है। विभाग को यह तय करना है कि राज्य के किन इलाकों में नए एक्सप्रेस वे बनाए जाएंगे और उनकी कुल लंबाई कितनी होगी। इसके बाद पूरी योजना को उच्च स्तर पर प्रेजेंट किया जाएगा, जहां अंतिम मंजूरी दी जाएगी।
फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से बिहार में चार बड़े एक्सप्रेस वे पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से कुछ पर काम चल रहा है और कुछ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में हैं।
केंद्र की योजना से अलग रूट तलाशेगा राज्य
केंद्र सरकार की योजना के तहत बिहार में इन एक्सप्रेस वे पर काम प्रस्तावित है—
पटना–पूर्णिया एक्सप्रेस वे
रक्सौल–हल्दिया एक्सप्रेस वे
वाराणसी–रांची–कोलकाता एक्सप्रेस वे
गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे
इनमें से वाराणसी–रांची–कोलकाता एक्सप्रेस वे पर निर्माण कार्य जारी है। पटना–पूर्णिया एक्सप्रेस वे को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है, जबकि बाकी दो के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।
इसी वजह से राज्य सरकार अब इन रूट्स से अलग नए इलाकों में एक्सप्रेस वे बनाने की संभावनाओं को भी तलाश रही है।
पहले भी बन चुका है अलग निगम, उसी मॉडल पर होगी नई अथॉरिटी
पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बिहार में इससे पहले भी सड़क निर्माण के लिए अलग निगम बनाया जा चुका है। जब एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) की मदद से स्टेट हाईवे परियोजनाएं शुरू हुई थीं, तब बिहार राज्य पथ विकास निगम (BSRDC) का गठन किया गया था।
BSRDC के जरिए ही प्रोजेक्ट की योजना, टेंडर और निर्माण प्रक्रिया पूरी की गई। अब उसी मॉडल पर एक्सप्रेस वे के लिए अलग एक्सप्रेसवे अथॉरिटी बनाने की तैयारी है, क्योंकि इन परियोजनाओं में भी बड़े वित्तीय संस्थानों से कर्ज लिया जाएगा।
हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर भी विचार
राज्य सरकार एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) को अपनाने की संभावना भी देख रही है। इस मॉडल में—
निर्माण कंपनी कुल लागत का लगभग 60% निवेश करती है
बाकी राशि सरकार देती है
कंपनी को बाद में टोल या तय भुगतान के जरिए पैसा लौटाया जाता है
इससे सरकार पर शुरुआती वित्तीय बोझ कम होता है और परियोजना समय पर पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
बिहार में प्रस्तावित एक्सप्रेस वे की अनुमानित लागत
केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत एक्सप्रेस वे परियोजनाओं की लागत इस प्रकार है—
पटना–पूर्णिया एक्सप्रेस वे – ₹18,042 करोड़ (282 किमी)
रक्सौल–हल्दिया एक्सप्रेस वे – ₹54,000 करोड़ (650 किमी)
गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे – ₹25,000 करोड़ (520 किमी)
वाराणसी–रांची–कोलकाता एक्सप्रेस वे – ₹30,000 करोड़ (612 किमी)




