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पूरी दुनिया की नजरें इस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं। इसका नतीजा सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर मध्य पूर्व के भविष्य का भी फैसला कर सकता है। डर इस बात का है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी होती है, तो ईरान के खिलाफ एक विनाशकारी युद्ध छिड़ सकता है, जिसमें अमेरिका और इज़रायल एक तरफ होंगे और ईरान दूसरी तरफ।

आखिर इतना डर क्यों है?

इस डर की सबसे बड़ी वजह है ईरान का परमाणु कार्यक्रम। ईरान बहुत तेजी से यूरेनियम को संवर्धित (Enrich) कर रहा है और अब वह 60% शुद्धता तक पहुंच गया है। आपको बता दें कि परमाणु बम बनाने के लिए 90% शुद्ध यूरेनियम की जरूरत होती है, यानी ईरान अपनी मंजिल से ज्यादा दूर नहीं है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) भी बार-बार ईरान को चेतावनी दे रही है और उसके रवैये की निंदा कर चुकी है, लेकिन ईरान पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है।

ट्रंप के आने से क्यों बढ़ जाएगा खतरा?

डोनाल्ड ट्रंप जब पहले राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने 2015 में हुई ईरान परमाणु डील (JCPOA) को रद्द कर दिया था और ईरान पर "अधिकतम दबाव" की नीति अपनाई थी। उनका मानना है कि ईरान से सिर्फ सख्ती से ही निपटा जा सकता है। अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं और ईरान किसी भी तरह की बातचीत के लिए राजी नहीं होता है, तो "प्लान बी" यानी सैन्य हमले का विकल्प सामने आ जाएगा।

इज़रायल क्यों है बेचैन?

इज़रायल के लिए ईरान का परमाणु बम हासिल करना उसके अस्तित्व का संकट है। इज़रायल किसी भी कीमत पर अपने पड़ोसी दुश्मन देश के हाथ में परमाणु हथियार नहीं देखना चाहता। उसका इतिहास रहा है कि वह ऐसे खतरों को जड़ से खत्म करने के लिए सैन्य हमले से भी नहीं हिचकता। इज़रायल ने पहले भी इराक (1981) और सीरिया (2007) के परमाणु रिएक्टरों को हवाई हमले कर तबाह कर दिया था। इसलिए यह माना जा रहा है कि अगर ईरान नहीं रुका, तो इज़रायल हमला करने वाला पहला देश हो सकता है, जिसमें उसे अमेरिका का पूरा साथ मिलेगा।

अगर हमला हुआ तो क्या होगा?

यह कोई छोटा-मोटा हमला नहीं होगा। इसके परिणाम बहुत भयानक हो सकते हैं:

व्यापक क्षेत्रीय युद्ध: ईरान जवाबी कार्रवाई करेगा और यह लड़ाई सिर्फ ईरान तक सीमित नहीं रहेगी।

ईरान के प्रॉक्सी मोर्चे: लेबनान में बैठा हिजबुल्लाह, यमन के हूती विद्रोही और सीरिया-इराक में मौजूद लड़ाके इज़रायल और अमेरिकी ठिकानों पर हमले शुरू कर देंगे।

वैश्विक तेल संकट: दुनिया का 20% तेल फारस की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरता है। ईरान इस रास्ते को बंद कर सकता है, जिससे दुनियाभर में तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी।

संक्षेप में, ईरान पर हमला करना एक ऐसा विकल्प है जिसके परिणाम अप्रत्याशित और विनाशकारी हो सकते हैं। इसीलिए, कूटनीति और बातचीत को पहला मौका दिया जा रहा है। लेकिन अगर ये रास्ते बंद हो जाते हैं, तो मध्य पूर्व एक ऐसे युद्ध की आग में झुलस सकता है, जिसकी तपिश पूरी दुनिया महसूस करेगी।

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