img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की स्कूल विलय नीति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को वैध ठहराया है, जिसमें कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों को पास के उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में समायोजित करने का आदेश दिया गया था।

इस फैसले से योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सीतापुर के 51 बच्चों द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें स्कूल विलय का विरोध किया गया था।

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने राज्य सरकार के पक्ष में यह निर्णय सुनाया। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 5 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जारी किया गया है।

राज्य सरकार ने 16 जून 2025 को यह आदेश पारित किया था। इसका उद्देश्य यह था कि जिन स्कूलों में छात्र संख्या बहुत कम है, उन्हें पास के बड़े स्कूलों में मिलाकर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए।

इस फैसले को सीतापुर और पीलीभीत के कुछ ग्रामीणों ने चुनौती दी थी। पीलीभीत के बिलसंडा ब्लॉक स्थित ग्राम चांदपुर के निवासियों—सुभाष, यशपाल यादव और अत्येंद्र कुमार—ने भी याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह नीति ग्रामीण बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करती है और इससे गांवों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। उन्होंने राज्य सरकार, शिक्षा महानिदेशक, शिक्षा निदेशक (बेसिक), बेसिक शिक्षा बोर्ड प्रयागराज, पीलीभीत के जिला अधिकारी और शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों को इस मामले में पक्षकार बनाया था।

हालांकि कोर्ट ने सरकार की दलीलों को सही माना और साफ किया कि यह निर्णय शिक्षा की व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए है, न कि बच्चों के अधिकारों का हनन करने के लिए।