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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कभी नशे के कारोबार और युवाओं की जिंदगी बर्बाद होने की कहानियों से बदनाम पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) का लंगड़ोया गांव आज पूरे राज्य के लिए नशा मुक्ति की मिसाल बन गया है। शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यहीं से राज्यस्तरीय ‘नशा मुक्ति यात्रा’ की शुरुआत की। यह अवसर इसलिए भी विशेष था क्योंकि कभी नशे के कारोबार का गढ़ कहलाने वाले लंगड़ोया ने अब खुद को आधिकारिक तौर पर ‘नशा मुक्त गांव’ घोषित कर दिया है।

लंगड़ोया की यह उपलब्धि कोई मामूली बात नहीं है। लगभग पांच वर्ष पूर्व तक इस गांव की गिनती पंजाब के उन गांवों में होती थी, जहां कोई भी परिवार अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता था। गांव में सुशील कुमार जैसे कई युवा ऐसे थे, जिनकी शादी सिर्फ इसलिए टूट गई, क्योंकि लड़की वाले लंगड़ोया का नाम सुनते ही पीछे हट जाते थे। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में लगभग 200 नशा तस्कर सक्रिय थे और बड़ी संख्या में युवा नशे के शिकार थे।

स्थिति इतनी खराब थी कि गांव के किसी भी व्यक्ति को सरकारी दफ्तर या पुलिस नाकों पर शक की नजर से देखा जाता था। लेकिन पांच वर्ष पहले गांव वालों ने बदलाव लाने की ठानी। सरपंच गुरदेव सिंह के अनुसार, पंचायत, स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों की सामूहिक मेहनत से धीरे-धीरे गांव नशे के चंगुल से मुक्त होने लगा। इन प्रयासों के नतीजे में पिछले पांच वर्षों में लगभग 70 युवक इंग्लैंड जाकर बेहतर रोजगार कर रहे हैं और 40 से 50 युवक फुटबॉल खेलकर विभिन्न विश्वविद्यालयों की टीमों में शामिल हो चुके हैं।

इस सकारात्मक बदलाव का परिणाम यह रहा कि अब लंगड़ोया गांव में फिर से शादियों की रौनक लौट आई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बदलाव की प्रशंसा करते हुए अन्य पंचायतों को भी लंगड़ोया से सीख लेने का आग्रह किया है। गांव की पहचान को सुधारने के लिए यहां के लोगों ने जिस जज्बे का प्रदर्शन किया, उसने साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयासों से असंभव भी संभव हो सकता है।