img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां मनसा देवी मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को मंगलवार को एक अत्यंत भयावह और कष्टदायक अनुभव से गुजरना पड़ा। भारी भीड़ और भीड़ प्रबंधन की खामियों के कारण मंदिर में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई, जहाँ सैकड़ों श्रद्धालु घंटों तक एक-दूसरे के दबाव में फंसे रहे, जिससे कई महिलाएं और बच्चे बेहोश हो गए और बुजुर्गों को साँस लेने में दिक्कत होने लगी। इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जानकारी के अनुसार, सावन के पवित्र महीने और आगामी त्योहारों के मद्देनजर मां मनसा देवी मंदिर में दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे। मंदिर के प्रवेश द्वार पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं, लेकिन इन्हें नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल या स्वयंसेवक मौजूद नहीं थे। इसके परिणामस्वरूप, कतारें अनियंत्रित हो गईं और पीछे से आने वाले श्रद्धालुओं के दबाव से आगे भीड़ का दम घुटने लगा।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि लोगों को हिलना भी मुश्किल हो रहा था। महिलाएं और बच्चे लगातार घुट रही भीड़ में फँस गए, जिसके कारण कई लोग बेहोश हो गए। बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए यह स्थिति और भी भयानक थी। कई श्रद्धालु डिहाइड्रेशन और दम घुटने जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे। समय रहते कुछ सक्रिय लोगों ने आवाज उठाई और पुलिस व मंदिर प्रशासन को सूचित किया। काफी देर बाद जाकर भीड़ को धीरे-धीरे व्यवस्थित करने का प्रयास किया गया।

इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में भारी गुस्सा और हताशा है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है। यात्रियों का कहना था कि लाखों की भीड़ की उम्मीद होते हुए भी ऐसी अव्यवस्था और असुरक्षा समझ से परे है। उत्तराखंड सरकार को धार्मिक पर्यटन के इन प्रमुख केंद्रों पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर काम करना होगा, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों और श्रद्धालु सुरक्षित तरीके से दर्शन कर सकें।