
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बुधवार रात कानपुर रोड की रुचि खंड कालोनी में तेंदुआ देखे जाने की खबर ने इलाके में दहशत मचा दी। इसके बाद से तेंदुआ का कोई पता नहीं चला है। सुरक्षा के चलते कई घरों में लोग अंदर दुबके रहे और बच्चों को स्कूल नहीं भेजा गया।
स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना शारदानगर वार्ड (प्रथम) पार्षद हिमांशु आंबेडकर को दी, जिन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचित किया। वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची, लेकिन रात होने की वजह से तेंदुए का कोई पक्का पता नहीं चल सका।
रात लगभग ग्यारह बजे, रुचि खंड से जुड़े मौर्या टोला में सड़क पार करते हुए तेंदुए को देखा गया, जिसे सीसीटीवी में कैद कर लिया गया। पार्षद हिमांशु ने बताया कि सीसीटीवी से साफ हो गया कि यह तेंदुआ ही था। उन्होंने खुद माइक लेकर लोगों से अपील की कि घरों में ही रहें।
डीएफओ अवध सितांशु पांडेय ने बताया कि फिलहाल लोगों ने खुद तेंदुआ नहीं देखा है। केवल एक फोटो वायरल होने से दहशत फैली थी। फोटो देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि वह किस जगह की है। वन विभाग की टीम अब लगातार गश्त कर रही है।
कहीं कैंट वाला तेंदुआ तो नहीं?
रविवार को कैंट के इच्छुपुरी कालोनी के पास भी तेंदुए को सड़क पार करते हुए देखा गया था और उसकी तस्वीर ली गई थी। जांच में बगल के गन्ना अनुसंधान केंद्र में पगमार्क मिले थे। रुचि खंड तक का रास्ता सिर्फ तीन-चार किलोमीटर का है। इसलिए यह आशंका जताई जा रही है कि वही तेंदुआ रुचि खंड तक पहुंच गया हो।
लखनऊ में तेंदुआ और बाघों की कहानी
लखनऊ में 1993 से लेकर अब तक कई बार तेंदुए और बाघ शहर के पास दिखे हैं:
1993: कुकरैल जंगल में खूंखार बाघ को मारना पड़ा
2009: कमालपुर लधौरा में तेंदुआ पकड़ा गया
2009: मोहनलालगंज में दहशत फैलाने वाला बाघ फैजाबाद में मारा गया
2012: उतरेहटा गांव में तेंदुआ पकड़ा गया
2012: काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ 100 दिन तक देखा गया
2013: पीजीआइ के पास रानी खेड़ा में तेंदुआ पकड़ा गया
पांच साल पहले: आशियाना में घर घुस आए तेंदुए को पुलिस ने मार गिराया
चार साल पहले: ठाकुरगंज के एक प्राथमिक स्कूल में तेंदुआ घुसा और पकड़ा गया
पिछले साल: काकोरी रहमान खेड़ा में दिखा बाघ तीन महीने बाद पकड़ा गया
लखनऊ में शहर और जंगल की नजदीकी के कारण ये घटनाएं समय-समय पर होती रहती हैं। वन विभाग लगातार सतर्क है और लोगों से अपील है कि घरों में ही रहें और जंगल के पास अकेले न जाएं।