
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रविवार 15 जून की दोपहर महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तालुका स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कुंदमाला में एक दर्दनाक हादसा हो गया। यहां इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना और कमजोर पुल अचानक टूट गया। हादसा उस समय हुआ जब बड़ी संख्या में लोग पुल पर खड़े होकर तस्वीरें ले रहे थे और आसपास घूम रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोपहर करीब 3:40 बजे पुल का एक हिस्सा अचानक भरभराकर गिर गया, जिससे करीब 25 से 30 लोग तेज बहाव वाली नदी में बह गए। अब तक दो शव बरामद किए जा चुके हैं और कई लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
भीड़, बारिश और पुल का पतन
रविवार होने के कारण कुंदमाला में सैलानियों की भारी भीड़ थी। बारिश के कारण इंद्रायणी नदी का जलस्तर भी पहले से काफी ऊंचा था। पुल पर जंग लगा हुआ था और वह काफी समय से मरम्मत की मांग कर रहा था, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण यह हादसा हुआ।
कई लोग पुल पर तस्वीरें ले रहे थे, बच्चे खेल रहे थे, और कुछ लोग मंदिर की ओर जा रहे थे। अचानक पुल टूटने से न सिर्फ पर्यटकों में भगदड़ मच गई, बल्कि कई लोग नीचे गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस की तलेगांव दाभाड़े यूनिट तुरंत मौके पर पहुंची। सूचना मिलते ही NDRF की दो टीमें, दमकल विभाग, और करीब 20 से 22 एंबुलेंस मौके पर भेजी गईं। अंधेरा होने से पहले अधिक से अधिक लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
रेस्क्यू बोट्स, वैन, और पुलिसकर्मियों की सहायता से नदी के ऊपर और आसपास के गांवों में भी खोजबीन जारी है। पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि बचाव कार्य में बाधा न डालें और मौके पर भीड़ न लगाएं।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
यह हादसा प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता की खुली पोल खोलता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पुल की हालत पहले से ही खराब थी और इसकी मरम्मत के लिए कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन जिम्मेदार विभागों ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया।
तेज बारिश, पुराना ढांचा, और भारी भीड़—इन तीनों के घातक मेल ने कई मासूम ज़िंदगियों को लील लिया। हादसे में लापता लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
अब ज़रूरत है जवाबदेही की
अब सवाल यह है कि जब पुल की हालत खराब थी, तो उसे समय रहते क्यों नहीं बंद किया गया? क्या पर्यटन स्थलों की सुरक्षा केवल कागज़ों तक सीमित है? प्रशासनिक चूक ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ज़िंदगी की कीमत तब समझी जाती है जब बहुत देर हो चुकी होती है।