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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हाल के दिनों में बदलती जीवनशैली के कारण पुरुष बांझपन के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। आमतौर पर समाज में यही माना जाता है कि इसके लिए केवल सिगरेट और शराब का सेवन ही जिम्मेदार है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। विभिन्न अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि बांझपन के कुल मामलों में से 40 से 50 प्रतिशत मामले पुरुषों से जुड़ी समस्याओं के कारण होते हैं। धूम्रपान के अलावा, आपकी दैनिक जीवन की कुछ आदतें, मानसिक स्थिति और खानपान आपकी प्रजनन क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कौन से अनजान कारक पुरुष प्रजनन क्षमता के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं।

सिगरेट: डीएनए क्षति

यह सच है कि सिगरेट का धुआँ शुक्राणुओं की गुणवत्ता का एक बड़ा दुश्मन है। इसमें मौजूद कैडमियम और लेड जैसे ज़हरीले रसायन सीधे शुक्राणुओं के डीएनए को नुकसान पहुँचाते हैं। इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता कम हो जाती है, यानी वे अंडे तक नहीं पहुँच पाते। वैश्विक शोध बताते हैं कि धूम्रपान करने वाले पुरुषों का वीर्य आयतन सामान्य पुरुषों की तुलना में 12 से 20 प्रतिशत कम होता है।

लेकिन केवल लत ही नहीं, बल्कि निम्नलिखित जैसे अन्य कारक भी समान रूप से घातक हैं:

1. नशीली दवाओं का प्रभाव (विशेषकर मारिजुआना)

दुनिया भर के युवाओं में भांग का सेवन बढ़ रहा है। पलानी बालाजी फर्टिलिटी सेंटर के निष्कर्षों के अनुसार, अगर कोई पुरुष तीन महीने तक हफ़्ते में एक बार से ज़्यादा भांग का सेवन करता है, तो उसके शुक्राणुओं की संख्या और सांद्रता में काफ़ी गिरावट आती है। अगर इसके साथ कोई और दवा ली जाए, तो नुकसान दोगुना हो जाता है।

2. मोटापा और वजन बढ़ना

पुरुषों में बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) का बढ़ना प्रजनन क्षमता के लिए ख़तरे का संकेत है। वज़न बढ़ने पर, अंडकोष के आसपास चर्बी जमा हो जाती है। इससे वहाँ का तापमान बढ़ जाता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन प्रक्रिया में बाधा आती है। अतिरिक्त चर्बी 'ऑक्सीडेटिव तनाव' को बढ़ाती है, जिससे शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता कमज़ोर हो जाती है।

3. मानसिक स्वास्थ्य और तनाव

आज के समय में काम और पारिवारिक तनाव आम बात हो गई है, लेकिन इसका सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। लगातार मानसिक तनाव में रहने वाले पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता बिगड़ सकती है। तनाव हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ देता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

4. आहार और पोषण

आप वही हैं जो आप खाते हैं। जिन पुरुषों के आहार में जंक फ़ूड, संतृप्त वसा और ट्रांस वसा की मात्रा ज़्यादा होती है, उनके शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम होती है। दूसरी ओर, जो पुरुष ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट (जैसे फल, सब्ज़ियाँ और सूखे मेवे) से भरपूर खाद्य पदार्थ खाते हैं, उनकी प्रजनन क्षमता बेहतर पाई गई है।

5. आयु का प्रभाव

आमतौर पर हम महिलाओं की उम्र की बात करते हैं, लेकिन पुरुषों के लिए भी उम्र मायने रखती है। 40 साल से ऊपर की उम्र को पिता बनने के लिए 'बुढ़ापा' माना जाता है। इस उम्र के बाद शुक्राणुओं में आनुवंशिक परिवर्तन होने की संभावना बढ़ जाती है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।