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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। यह त्यौहार हर साल देवउठी एकादशी के दिन मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन तुलसी माता और भगवान शालिग्राम (विष्णु का एक रूप) का विवाह बड़ी श्रद्धा और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ किया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

तुलसी विवाह विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जिनके परिवार में बेटी न होने के कारण कन्यादान नहीं हो पाता। इस दिन घरों में सुंदर मंडप सजाए जाते हैं, तुलसी के पौधे को दुल्हन के रूप में और भगवान शालिग्राम को दूल्हे के रूप में स्थापित किया जाता है और विवाह संस्कार संपन्न कराया जाता है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह की शुभ तिथि और पूरी विधि के साथ शुभ मुहूर्त।

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:50 से प्रातः 5:42 तक

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक

विजय मुहूर्त: 1:55 AM से 2:39 AM तक

गोधूलि मुहूर्त: सुबह 5:35 से 6:01 बजे तक

अमृत ​​काल: सुबह 9:29 बजे से 11:00 बजे तक

त्रिपुष्कर योग: सुबह 7:31 से 5:03 बजे तक

तुलसी विवाह का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और तुलसी माता का पवित्र विवाह होता है। मान्यता है कि विवाह में तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

पूजा समारोह

  • तुलसी के पौधे को लाल चुनड़ी से सजाकर चौकी पर रखें।
  • दूसरे बाजोट पर भगवान शालिग्राम की स्थापना करें।
  • गन्ने का उपयोग करके एक मंडप बनाएं।
  • कलश में जल भरें और उस पर पांच आसोपालव के पत्ते रखें।
  • दीपक जलाएं और तुलसी व शालिग्राम पर गंगाजल छिड़कें।
  • माता तुलसी को सुन्दर माला से सजाएं।
  • भगवान शालिग्राम के तुलसी के पौधे की सात बार परिक्रमा करें।
  • अंत में आरती के साथ विवाह पूर्ण माना जाता है।