
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक अहम घोषणा की कि पार्टी बिना किसी गठबंधन के अकेले चुनाव लड़ेगी। इस फैसले के साथ ही उन्होंने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को बिहार में चुनाव का नेतृत्व करने की मुख्य जिम्मेदारी सौंपी है। बैठक में उम्मीदवारों के चयन, संगठनात्मक ढांचे और चुनाव प्रचार की रणनीति पर भी गहन चर्चा हुई, जिसमें राज्य की सभी सीटों को 3 जोन में बांटा गया है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी और किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को बिहार में पार्टी के प्रचार और संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इस फैसले के साथ ही बिहार की सभी विधानसभा सीटों को तीन जोन में बांटकर हर जोन को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है, ताकि पार्टी का जनाधार मजबूत हो सके।
बिहार चुनाव रणनीति
पिछले दो दिनों से चल रही वरिष्ठ नेताओं की बैठक में मायावती ने पार्टी की चुनावी रणनीति की समीक्षा की। उन्होंने इंस्टाग्राम पर इसकी विस्तृत जानकारी दी। बैठक में उम्मीदवारों के चयन, पार्टी संगठन को मज़बूत करने और आने वाले दिनों में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। मायावती ने कहा कि बिहार एक बड़ा राज्य है, इसलिए वहाँ की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी विधानसभा सीटों को 3 अलग-अलग ज़ोन में बाँटा गया है। हर ज़ोन के लिए अलग-अलग नेताओं को ज़िम्मेदारी दी गई है।
आकाश आनंद को मुख्य जिम्मेदारी
मायावती ने इस चुनाव अभियान के लिए अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा, पार्टी के केंद्रीय समन्वयक और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम और बिहार राज्य इकाई को भी इन कार्यक्रमों में विशेष भूमिका दी गई है। ये कार्यक्रम मायावती के मार्गदर्शन में आयोजित किए जाएँगे।
' बसपा ' का अपना आधार बढ़ाने पर जोर
बैठक में पार्टी नेताओं ने मायावती को भरोसा दिलाया है कि बिहार में तेज़ी से बदलते राजनीतिक हालात में भी बसपा अच्छे नतीजे लाएगी। इससे पहले मायावती ने पार्टी के संगठन को मज़बूत करने के लिए ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी इसी तरह की बैठकें की थीं। यूपी की तरह बिहार में भी ज़िले से लेकर मतदान केंद्र स्तर तक कमेटियों के गठन पर ज़ोर दिया गया है, ताकि पार्टी का जनाधार बढ़ाया जा सके।