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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार (03 सितंबर) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने 33 जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर शून्य करने की घोषणा की। इन दवाओं में कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा, तीन अन्य जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है। साथ ही, अन्य दवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। आइए जानते हैं इससे आपको कितनी बचत होगी?

इन दवाओं से राहत

जीएसटी परिषद ने 33 दवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया है। ये दवाएं मुख्य रूप से कैंसर, दुर्लभ आनुवंशिक विकारों, स्व-प्रतिरक्षित रोगों और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में काम आती हैं। इनमें एगल्सिडेस बीटा, इमिग्लूसेरेज़, इप्टाकॉग अल्फा एक्टिवेटेड रीकॉम्बिनेंट कोएगुलेशन फैक्टर VIIa, ओनासेमनोजेन एबेपार्वोवेक, एस्किमिनिब, मेपोलिज़ुमैब, पेगीलेटेड लिपोसोमल इरिनोटेकन, डाराटुमुमैब, डाराटुमुमैब सबक्यूटेनियस, टेक्लिस्टामैब, एमिवेंटामैब, एलेक्टिनिब, रिस्ड आईपीएल एएम, ओबिनुटुजुमैब, पोलाटुजुमैब वेडोटिन, एंट्रेक्टिनिब, एटेज़ोलिज़ुमैब, स्पेसोलिमाब, वेलाग्लूसेरेज़ अल्फा, एगल्सिडेस अल्फा शामिल हैं। रुरीओक्टोकोग अल्फा पेगोल, इडुरसल्फेटेज़, अल्ग्लुकोसिडेज़ अल्फ़ा, लारोनिडेज़, ओलिपुडेज़ अल्फ़ा, टेपोटिनिब, एवेलुमैब, एमिसिज़ुमैब, बेलुमोसुडिल, मिग्लस्टैट, वेलमैनेज़ अल्फ़ा, एलिरोकुमैब, इवोलोकुमैब, सिस्टामाइन बिटार्ट्रेट, सीआई-इनहिबिटर इंजेक्शन और इनक्लिसिरन।

कैंसर की ये दवाएँ सस्ती हो गई हैं

डाराटुजुमाब (मल्टीपल मायलोमा के लिए), एलेक्टिनिब (फेफड़ों का कैंसर), ओबिनुटुजुमाब (ब्लड कैंसर), पोलाटुजुमाब वेडोटिन (लिम्फोमा), एंट्रेक्टिनिब (सॉलिड ट्यूमर), एटेजोलिजुमाब (फेफड़ों और मूत्राशय का कैंसर), टेपोटिनिब (फेफड़ों का कैंसर) और एवेलुमाब (त्वचा कैंसर) पर जीएसटी कम कर दिया गया है। साथ ही, वेलाग्लूसेरेज़ अल्फा, पोम्पे रोग (एल्ग्लूकोसिडेस अल्फा) और हीमोफीलिया (एमिसिजुमाब) जैसी दुर्लभ बीमारियों की दवाओं पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है। साथ ही, तीन दवाओं एगेलसिडेस बीटा, इमीग्लूसेरेज़ और एप्टाकॉग अल्फा पर जीएसटी 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि ये दवाएं आयातित हैं और महंगी हैं। जीएसटी कम करने से इनकी पहुंच बढ़ेगी। भारत में हर साल कैंसर के 14 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं। इन दवाओं पर जीएसटी कम करने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी।

कौन सी दवा सस्ती होगी?

जीएसटी में कमी का सीधा असर मरीजों के मासिक बिलों पर पड़ेगा। हम कुछ प्रमुख कैंसर दवाओं के बाजार मूल्य (जीएसटी को छोड़कर अनुमानित मूल मूल्य) के आधार पर गणना करते हैं कि अब आप कितनी बचत करेंगे।

डाराटुमुमैब (मल्टीपल मायलोमा कैंसर के लिए): यह इंजेक्शन के रूप में आता है। इसकी मासिक खुराक (लगभग 4 शीशियाँ) की मूल कीमत 2 लाख रुपये है। पहले इस पर 12% जीएसटी के तहत 24,000 रुपये का कर लगता था, जिसके कारण इस दवा की कीमत 2.24 लाख रुपये थी।

एलेक्टिनिब (फेफड़ों के कैंसर के लिए): कैप्सूल के रूप में आने वाली इस दवा के 60 कैप्सूल का मासिक पैक, जिसकी मूल कीमत 1.50 लाख रुपये है, की कीमत 1.68 लाख रुपये है। 12% जीएसटी जोड़ने के बाद, इसकी कीमत 1.68 लाख रुपये हो गई, जो अब बचत होगी। ओसिमर्टिनिब (फेफड़ों के कैंसर के लिए): पहले इस 80 मिलीग्राम टैबलेट (30 टैबलेट) के मासिक पैक की कीमत 12% जीएसटी के साथ लगभग 1.51 लाख रुपये थी। अब हर महीने 16,200 रुपये की सीधी बचत होगी। यह ईजीएफआर म्यूटेशन वाले मरीजों के लिए एक प्राथमिक उपचार है।

कितनी बचत होगी?

अगर कोई कैंसर मरीज इनमें से एक या एक से ज़्यादा दवाओं पर निर्भर है, तो उसके मासिक बिल में 15,000 से 50,000 रुपये की बचत होने की उम्मीद है। इन 33 दवाओं पर औसतन 10 से 20 प्रतिशत मासिक बचत होने की उम्मीद है, क्योंकि इनमें से कुछ दवाएं पहले से ही सब्सिडी पर उपलब्ध हैं।