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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बुधवार को राजधानी दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक साथ नजर आए। इस बैठक का मुख्य एजेंडा देश के नए मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति करना था। हालांकि, लगभग दो घंटे तक चली इस बैठक में किसी नतीजे पर सहमति नहीं बन पाई। खबरों के अनुसार, राहुल गांधी ने चयन प्रक्रिया और अधिकारियों के नामों को लेकर असहमति (असहमति पत्र) व्यक्त की।

तीन अनुभवी नेताओं के बीच हुई बैठक दो घंटे तक चली।

बुधवार (10 दिसंबर, 2025) को प्रधानमंत्री आवास पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण चयन समिति की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, जबकि गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समिति के अन्य सदस्यों के रूप में उपस्थित थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में मुख्य आयुक्त और 8 अन्य सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरना था। इसके अलावा, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के पद के लिए भी चर्चा हुई।

राहुल गांधी ने विरोध क्यों दर्ज कराया?

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में राहुल गांधी ने सरकार द्वारा प्रस्तुत नामों और चयन प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विपक्ष के नेता की राय महत्वपूर्ण होती है। राहुल गांधी ने अधिकारियों के चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और उचित मानदंडों को लेकर असंतोष व्यक्त किया और अपनी असहमति को स्पष्ट रूप से दर्ज कराया। इसका मतलब है कि विपक्ष सरकार द्वारा आगे बढ़ाए जाने वाले नामों से सहमत नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट पर दबाव और लंबित मामलों का बोझ

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाने के कारण सरकार ने प्रक्रिया में तेजी ला दी है। 1 दिसंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि 10 दिसंबर को एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक होगी और नियुक्तियों के लिए नामों की सिफारिश की जाएगी। सूचना आयुक्त आयोग की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, आयोग में 30,838 मामले लंबित हैं। इतने भारी बोझ के कारण फिलहाल केवल दो सूचना आयुक्त (आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी) ही अपना कार्यभार संभाल रहे हैं, जबकि शेष 8 पद रिक्त हैं, जिससे आयोग का कामकाज बाधित हो रहा है।

चयन कैसे किया जाता है?

सूचना आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया संवैधानिक रूप से निर्धारित है। इसके लिए गठित चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता (वर्तमान में राहुल गांधी) और प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत केंद्रीय मंत्रिमंडल मंत्री (वर्तमान में अमित शाह) शामिल होते हैं। अंतिम नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा इस समिति द्वारा अनुशंसित नामों के आधार पर की जाती है।

कांग्रेस का पुराना विरोध जारी है

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने सीआईसी की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। 2020 में, तत्कालीन लोकसभा कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने चयन प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किए बिना मनमाने ढंग से नियुक्तियां कर रही है। राहुल गांधी का मौजूदा विरोध भी पारदर्शिता के मुद्दे को लेकर ही माना जा रहा है।