
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब सरकार ने उद्योगों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में वीरवार को हुई कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसके तहत अब राज्य के औद्योगिक प्लॉटों को विभाजित कर उनमें अस्पताल, होटल, घर और इंडस्ट्रियल पार्क भी बनाए जा सकेंगे।
बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने बताया कि लंबे समय से उद्योगपतियों की प्लॉट कन्वर्जन को लेकर मांग उठ रही थी। इस प्रक्रिया में रुकावट के कारण कई परियोजनाएं रुकी हुई थीं। अब सरकार की नई नीति के तहत इंडस्ट्रियल एस्टेट्स में सीएलयू (Change of Land Use) करवाकर, 1,000 गज से 4,000 गज तक के प्लॉटों पर विभिन्न तरह की इकाइयाँ स्थापित की जा सकेंगी। सरकार इसके लिए केवल 12.5 प्रतिशत सीएलयू शुल्क लेगी।
इसके अलावा, 40,000 गज तक के प्लॉट्स पर इंडस्ट्रियल पार्क्स भी बनाए जा सकेंगे, जिसमें 60% हिस्सा इंडस्ट्री को, 30% हाउसिंग को और 10% हिस्से को कमर्शियल उपयोग के लिए रखा जाएगा।
राज्य सरकार ने पंजाब जल संसाधन विभाग के जूनियर इंजीनियरों (ग्रुप-बी) की सेवा शर्तों में भी संशोधन को हरी झंडी दे दी है। अब जेई के 15 प्रतिशत रिक्त पदों में से 10 प्रतिशत पदों को जूनियर ड्राफ्ट्समैन, सर्वेयर, वर्क मिस्त्री और अर्थ वर्क मिस्त्री जैसे अन्य वर्गों से पदोन्नति के जरिए भरा जाएगा।
सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन (PSIEC) के लीज होल्ड औद्योगिक प्लॉट्स और शेड्स को फ्री होल्ड में बदलने की अनुमति दे दी है। इसके तहत अब महज 20 रुपये प्रति गज की दर से ये प्लॉट्स फ्री होल्ड कराए जा सकेंगे। सरकार को इस नीति से लगभग एक हजार करोड़ रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है।
इसके साथ ही, कैबिनेट ने एमएसएमई डेवलपमेंट एक्ट, 2006 के तहत MSE Facilitation Council के नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। अब भुगतान संबंधी विवादों को तेजी से सुलझाने के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप एक सशक्त ढांचा तैयार किया जाएगा, जिससे फैसलों की वसूली भू-राजस्व के तौर पर की जा सकेगी।