
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 'बेड एंड ब्रेकफास्ट व होम स्टे नीति-2025' को मंजूरी दे दी गई। इस नीति के तहत अब राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को कम कीमत में रुकने की सुविधा मिल सकेगी।
इस पहल से दोहरे फायदे होंगे—पर्यटकों को सस्ते कमरे मिलेंगे और स्थानीय निवासियों को आय का नया स्रोत मिलेगा। प्रदेश में पहले ही 229 पर्यटन स्थलों को इस योजना के लिए चिह्नित कर लिया गया है। अब इन स्थलों पर होम स्टे चलाने वालों को तय मानकों के अनुसार पंजीकरण करवाना होगा।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करता है। 2024 में करीब 64.90 करोड़ पर्यटक प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर आए थे, जिनमें से 22.69 लाख विदेशी पर्यटक भी थे। जबकि 2023 में यह आंकड़ा 48 करोड़ था।
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि कोई भी व्यक्ति अपने घर के 1 से 6 कमरों को होम स्टे में तब्दील कर सकता है। एक होम स्टे यूनिट में अधिकतम 12 बेड की अनुमति होगी और कोई भी पर्यटक वहां लगातार 7 दिनों तक ठहर सकता है।
होम स्टे की अनुमति जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा दी जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पंजीकरण शुल्क 500 से 750 रुपये, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 2000 रुपये तय किया गया है।
पहले राज्य में ऐसी कोई नीति नहीं थी, जिसके कारण संचालकों को केंद्र सरकार के 'निधि प्लस पोर्टल' पर ही पंजीकरण करना पड़ता था। हालांकि, अब राज्य सरकार ने अपनी स्पष्ट और सरल नीति लागू कर दी है।
हालांकि कैबिनेट ने इस नीति में प्रस्तावित वित्तीय सहायता योजना को हटा दिया है, यानी होम स्टे बनाने वालों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद नहीं मिलेगी।
फिलहाल अयोध्या मंडल में 19, सुल्तानपुर, बाराबंकी और अमेठी में 12, वाराणसी मंडल में 10, लखनऊ में 23, देवीपाटन में 17, चित्रकूट में 24, और रायबरेली, लखीमपुर खीरी, हरदोई में 17 होम स्टे को अनुमति दी जा चुकी है। अब इन्हें नीति के अंतर्गत लाया जाएगा और यहां रुकने वाले पर्यटकों को ब्रेकफास्ट सुविधा भी दी जाएगी।