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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अब भारतीय रेलवे की पटरियों पर चलने वाली ट्रेनों को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ी पहल की गई है। कानपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (केआईटी) के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग ने एक ऐसी स्मार्ट रेलवे सुरक्षा प्रणाली विकसित की है, जो किसी भी आपात स्थिति में न सिर्फ खतरे का तुरंत पता लगाएगी, बल्कि जरूरत पड़ने पर ट्रेन में खुद-ब-खुद ब्रेक भी लगाएगी।

यह तकनीक ध्वनि, कंपन और सेंसर नेटवर्क के ज़रिए काम करती है। खास बात यह है कि यह सिस्टम लोको पायलट या चालक की मदद के बिना भी आपात स्थिति में प्रतिक्रिया कर सकता है।

क्या है इस तकनीक की खासियत?

यह प्रणाली एक एडवांस अल्गोरिदम पर काम करती है जो सेंसर से मिले डेटा का विश्लेषण करती है। जैसे ही यह किसी भी खतरे – जैसे कि पटरी में दरार, ट्रैक पर कोई अवरोध या जानवर की मौजूदगी – को पहचानती है, यह कंट्रोल रूम को तुरंत अलर्ट करती है और ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेकिंग की प्रक्रिया शुरू कर देती है।

डॉ. राहुल उमराव, केआईटी के इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग से, बताते हैं कि यह सिस्टम अल्ट्रासोनिक सेंसर तकनीक से लैस है और एडर्नो सिस्टम की मदद से काम करता है। यह ट्रेन पायलट के प्रतिक्रिया न देने की स्थिति में भी ट्रेन को रोक सकता है। इसके जरिए कंट्रोल रूम को पूरी जानकारी रीयल टाइम में मिलती है।

इस सिस्टम के प्रमुख लाभ:

दुर्घटनाओं में कमी: ट्रेन के टकराने या पटरी से उतरने की घटनाएं रोकी जा सकेंगी।

अवरोध की पहचान: पटरियों पर गाड़ियों, जानवरों या मलबे जैसे खतरों का पता लगाया जा सकेगा।

स्वचालित प्रतिक्रिया: जरूरत पड़ने पर गेट बंद करना, सिग्नल बदलना और ब्रेक लगाना भी इस तकनीक से संभव होगा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा: रेल ट्रैक, पुल और सुरंगों की निगरानी और समय पर मरम्मत में सहायता मिलेगी।

भविष्य की योजना:

यह प्रणाली केआईटी के छात्रों और शिक्षकों की टीम द्वारा तैयार की गई है और इसका पेटेंट आवेदन भी किया गया है। अब इसे रेलवे के साथ मिलकर फील्ड ट्रायल के लिए प्रस्तावित किया गया है।

डॉ. ब्रजेश वार्ष्णेय, निदेशक, केआईटी ने कहा कि यह तकनीक देशभर में रेलवे सुरक्षा की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।