
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय राजनीति और फिल्म जगत की जानी-मानी हस्ती तथा चंडीगढ़ की सांसद किरन खेर पर इन दिनों 12 लाख 76 हज़ार रुपये के भारी-भरकम सरकारी बकाया को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यह बकाया चंडीगढ़ में मिले सरकारी आवास के संबंध में है, जिसे उन्होंने अपना कार्यकाल खत्म होने और स्वास्थ्य कारणों के चलते खाली नहीं किया है।
जानकारी के मुताबिक, लोकसभा के नियमों के अनुसार, सांसद को उसका कार्यकाल समाप्त होने के बाद अधिकतम छह महीने तक ही सरकारी आवास में रहने की अनुमति होती है। इसके बाद अगर आवास खाली नहीं किया जाता है, तो उस पर "दंडनीय किराया" (penal rent) लगाया जाता है, जो सामान्य किराए से कहीं ज्यादा होता है। किरन खेर का मामला अक्टूबर 2021 से इस श्रेणी में आता है, जब उन्हें आवास खाली कर देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। हाउसिंग डायरेक्टरेट ने उन्हें कई बार नोटिस भेजे और अब उन पर कुल 12 लाख 76 हज़ार रुपये का भारी-भरकम किराया बकाया हो गया है।
किरन खेर के प्रतिनिधियों और उनके परिवार (जिनमें पति अनुपम खेर भी शामिल हैं) का कहना है कि उनकी गंभीर बीमारी मल्टीपल मायलोमा का इलाज मुंबई में चल रहा है, जिसके कारण वह घर खाली नहीं कर पा रही हैं। वे आश्वस्त करते हैं कि जैसे ही उनका स्वास्थ्य अनुमति देगा या वैकल्पिक व्यवस्था हो जाएगी, आवास खाली कर दिया जाएगा और सारा बकाया चुका दिया जाएगा।
हालांकि, सरकारी नियम स्पष्ट हैं। यदि किसी सांसद को विशेष परिस्थितियों में तय सीमा से अधिक समय तक सरकारी आवास रखना हो, तो उन्हें लोकसभा हाउस कमेटी या हाउसिंग डायरेक्टरेट से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है, जो इस मामले में नहीं ली गई। चंडीगढ़ में किरन खेर के निजी आवास के अलावा अनुपम खेर के नाम पर भी एक आवास है।
इस मामले ने एक बार फिर निर्वाचित प्रतिनिधियों को मिलने वाले सरकारी आवास और नियमों के पालन पर सवाल खड़ा कर दिया है, खासकर जब गंभीर स्वास्थ्य कारणों से भी ऐसी छूट को स्वीकार नहीं किया जा रहा हो। अब देखना यह है कि यह मामला कैसे सुलझता है और बकाया राशि कब तक चुकाई जाती है।