img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए एक नया शांति प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, यदि यूक्रेन डोनेट्स्क और लुहांस्क का पूर्वी हिस्सा रूस को सौंप देता है, तो बदले में रूस वर्तमान में कब्जे वाले सूमी और उत्तरी खार्किव क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने को तैयार है। हालाँकि, इस प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम का उल्लेख नहीं है, जिसके कारण यूक्रेन के लिए इसे स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है। इस शांति प्रस्ताव में नाटो सदस्यता, भाषा और धर्म से जुड़ी कुछ अन्य शर्तें भी शामिल हैं।

पुतिन का प्रस्ताव और उसकी मुख्य शर्तें

रूस-यूक्रेन युद्ध को डेढ़ साल से ज़्यादा हो गया है, और अब रूस ने एक शांति प्रस्ताव पेश करके अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रस्ताव में कुछ प्रमुख शर्तें हैं:

  • भूमि विनिमय: रूस यूक्रेन से डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्र लेना चाहता है। एक यूक्रेनी मानचित्र परियोजना के अनुसार, यूक्रेन डोनबास क्षेत्र के लगभग 6,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है। बदले में, रूस सुमी और खार्किव क्षेत्रों के लगभग 440 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को छोड़ने को तैयार है, जिस पर उसका वर्तमान कब्ज़ा है।
  • नाटो में शामिल होने पर प्रतिबंध: प्रस्ताव के अनुसार, यूक्रेन पर नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। हालाँकि, पुतिन यूक्रेन को किसी प्रकार की सुरक्षा गारंटी देने को तैयार हैं।
  • भाषा और धर्म: प्रस्ताव में यूक्रेन में रूसी भाषा को आधिकारिक दर्जा देने और रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देने की भी मांग की गई है। गौरतलब है कि यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी ने चर्च पर रूस के लिए दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है, हालाँकि चर्च ने इन आरोपों का खंडन किया है।

ज़ेलेंस्की के लिए इस प्रस्ताव को स्वीकार करना कठिन क्यों है ?

इस प्रस्ताव में सबसे बड़ी और गंभीर चिंता यह है कि इसमें तत्काल युद्धविराम का कोई ज़िक्र नहीं है। रूस द्वारा रोज़ाना मिसाइल और ड्रोन हमले अभी भी जारी हैं। इसके अलावा, यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह यूक्रेन की कोई भी ज़मीन रूस को देने को तैयार नहीं हैं। डोनबास क्षेत्र यूक्रेन के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे छोड़ना उनके लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

आगे क्या होगा ?

इस प्रस्ताव पर 18 अगस्त को व्हाइट हाउस में ट्रंप, ज़ेलेंस्की और प्रमुख यूरोपीय नेताओं के बीच चर्चा होने की संभावना है। इस बैठक में यूरोपीय नेताओं का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ज़ेलेंस्की पर कोई दबाव न पड़े। इस प्रस्ताव का स्वीकार होना या न होना यूक्रेन, रूस और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होगा।