
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अक्सर लोग सिरदर्द, बुखार या बदन दर्द होने पर बिना सोचे-समझे ओवर-द-काउंटर पेनकिलर ले लेते हैं। लेकिन एक अध्ययन में पाया गया है कि अगर हार्ट अटैक से उबर चुके मरीज इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें दोबारा हार्ट अटैक आने का खतरा काफी बढ़ जाता है। यह शोध डेनमार्क में हार्ट अटैक से बचे करीब 1 लाख लोगों पर किया गया। नतीजे चौंकाने वाले थे। जिन लोगों ने पेनकिलर (NSAIDs) लेना जारी रखा, उनमें दोबारा हार्ट अटैक और मौत का खतरा करीब 60 फीसदी बढ़ गया। इस शोध से पता चलता है कि जिन लोगों को पहले भी हार्ट अटैक आ चुका है, उनके लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है।
क्या यह दर्द निवारक दवा सबसे खतरनाक है?
डिक्लोफेनाक (वोल्टेरेन, कैटाफ्लैम) - सबसे अधिक जोखिम वाली दवा
आइबुप्रोफेन (ब्रुफेन, एडविल, मोट्रिन) - लंबे समय तक लेने पर जोखिम बढ़ जाता है
नेप्रोक्सन (एलेव, नेप्रोसिन) - अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है, लेकिन फिर भी हृदय रोगियों के लिए जोखिम से मुक्त नहीं है।
ये दवाइयां नुकसान क्यों पहुंचाती हैं?
अध्ययनों के अनुसार, इन दवाओं के शरीर पर कई प्रभाव हो सकते हैं: ये एस्पिरिन (जो रक्त के थक्के बनने से रोकती है) के प्रभाव को कम कर देती हैं। ये रक्तचाप बढ़ा सकती हैं और शरीर में पानी को रोक सकती हैं। ये गुर्दे के कार्य को प्रभावित करती हैं, जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इस कारण, हृदय रोगियों को दोबारा दिल का दौरा पड़ने या गंभीर जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
कौन से विकल्प अधिक सुरक्षित हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय रोगियों को अनावश्यक रूप से NSAIDs लेने से बचना चाहिए। इसके बजाय, हल्के दर्द और बुखार के लिए एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल/टाइलेनॉल) अधिक सुरक्षित माना जाता है। फिजियोथेरेपी, व्यायाम, योग, गर्म/ठंडी सिकाई जैसे विकल्प भी दर्द कम करने में मदद कर सकते हैं। यदि NSAIDs लेनी ही हैं, तो उन्हें कम मात्रा में और थोड़े समय के लिए ही लेना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श करना ज़रूरी है।