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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पटना हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय देते हुए साफ कहा है कि अब भूमि सुधार उप समाहर्ता (एलआरडीसी) या उसके समकक्ष पदों पर सिर्फ बिहार राजस्व सेवा के अधिकारियों की ही नियुक्ति होगी। कोर्ट ने यह फैसला उन 60 अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया, जो वर्तमान में अंचलाधिकारी या अन्य राजस्व पदों पर कार्यरत हैं।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने तर्क दिया कि वर्ष 2010 में बनी बिहार राजस्व सेवा नियमावली के मुताबिक, एलआरडीसी जैसे पदों पर केवल राजस्व सेवा के अधिकारियों को ही पदोन्नति के आधार पर नियुक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने खुद यह वादा किया था कि जब तक राजस्व सेवा के अफसरों को इस पद पर प्रोन्नत नहीं किया जाता, तब तक प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को केवल अस्थायी तौर पर ही इन पदों पर रखा जाएगा।

लेकिन याचिका में यह आरोप लगाया गया कि सरकार ने अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच नियमों को ताक पर रखकर बिहार प्रशासनिक सेवा के 101 अधिकारियों को एलआरडीसी पद पर नियुक्त कर दिया। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश की भी अनदेखी है।

सरकारी पक्ष की ओर से अदालत में अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश ओझा ने भी यह स्वीकार किया कि एलआरडीसी जैसे पद का मूल अधिकार बिहार राजस्व सेवा अधिकारियों का ही है। इसके बाद कोर्ट ने तीन माह के भीतर सरकार को आदेश दिया है कि भविष्य में इन पदों पर केवल राजस्व सेवा के योग्य अधिकारियों की ही नियुक्ति की जाए। साथ ही प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को उनके मूल प्रशासनिक पदों पर ही रखा जाए।

यह फैसला बिहार में प्रशासनिक नियुक्तियों को लेकर चल रही अनिश्चितता पर विराम लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।