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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : नगर निगम की 16,000 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना एक बार फिर विवादों में फंस गई है। करीब 10 करोड़ रुपये के टेंडर को गड़बड़ी की शिकायतों के चलते निरस्त कर दिया गया। अब निगम ने संशोधित टेंडर जारी कर दिया है, जिसे 29 सितंबर को खोला जाएगा।

इस पूरे मामले ने नगर निगम के मार्ग प्रकाश विभाग को एक बार फिर सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। आरोप है कि अधिकारियों ने टेंडर की शर्तें इस तरह से तैयार की थीं कि सिर्फ चुनिंदा कंपनियां ही उसमें भाग ले सकें।

शासन से मिली अवस्थापना निधि से इन लाइटों को लगाने का बजट पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने के कारण मामला उलझ गया।

पिछले टेंडर में केवल छह कंपनियों का नाम शामिल था, जबकि लोक निर्माण विभाग से कुल 18 कंपनियां प्रमाणित हैं। इसी वजह से यह संदेह गहराया कि कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी। जब मामला नगर आयुक्त गौरव कुमार तक पहुंचा, तो उन्होंने टेंडर रद्द कर नई शर्तों के साथ पुनः जारी करने का निर्देश दिया।

इस बार निगम ने शर्तों में बदलाव करते हुए केवल यह जोड़ा है कि कंपनियां लोक निर्माण विभाग से प्रमाणित स्ट्रीट लाइट उपलब्ध कराएंगी। अब किसी कंपनी का नाम सीधे तौर पर नहीं दिया गया है, ताकि प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष बनी रहे और गड़बड़ी की संभावना न रहे।

गांवों में अब भी अंधेरा

वर्ष 2020 में नगर निगम की सीमा में 88 गांवों को जोड़ा गया था। इन इलाकों में आज भी स्ट्रीट लाइटों की कमी है और लोग लगातार रोशनी की मांग कर रहे हैं। पंचायत विभाग ने गांवों के निगम में शामिल होने के बाद बजट जारी करना बंद कर दिया था, जिससे विकास कार्य रुक गए।

अब निगम का कहना है कि नए टेंडर के बाद जल्द ही लाइटें लगाई जाएंगी, ताकि गांवों में अंधेरे की समस्या खत्म हो सके।

मनोज प्रभात, मुख्य अभियंता मार्ग प्रकाश विभाग का कहना है—
“पिछले टेंडर में कंपनियों का नाम दिए जाने पर आपत्ति आई थी, इसलिए उसे निरस्त किया गया। अब नई प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 29 सितंबर को टेंडर खोले जाएंगे।”