
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ जिला जेल में भ्रष्टाचार और ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के साथ अभद्रता का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। जेल के गार्डों और अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद कारागार मुख्यालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जेलर राकेश कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया है। यह निलंबन कारागारों में अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, जेल गार्डों और कर्मचारियों ने कारागार मुख्यालय में जेलर राकेश कुमार वर्मा के खिलाफ लगातार शिकायतें दर्ज कराई थीं। इन शिकायतों में प्रमुख रूप से कई गंभीर आरोप शामिल थे, जिनमें -
- उत्पीड़न और अभद्रता: कर्मचारियों का आरोप था कि जेलर राकेश कुमार वर्मा अक्सर उनके साथ अभद्र व्यवहार करते थे, गाली-गलौज करते थे और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे।
- कर्तव्य में लापरवाही: जेल के नियमों और प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन न करना।
- वित्तीय अनियमितताएं: गार्डों ने वेतन भुगतान और अन्य भत्तों से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं के भी आरोप लगाए थे। यह भी कहा गया कि कर्मचारियों से पैसे की अवैध मांग की जाती थी।
- ड्यूटी में हस्तक्षेप और गलत आदेश: कुछ गार्डों ने आरोप लगाया कि जेलर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत आदेश देते थे और उनकी वैध ड्यूटी में हस्तक्षेप करते थे।
शिकायतों की गंभीरता और बार-बार के इन आरोपों को देखते हुए कारागार मुख्यालय ने इसकी प्रारंभिक जांच कराई। जांच में आरोपों में कुछ सत्यता पाए जाने के बाद डीआईजी जेल और अन्य उच्चाधिकारियों ने तुरंत निर्णय लेते हुए जेलर राकेश कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि के दौरान राकेश कुमार वर्मा कारागार मुख्यालय, लखनऊ से संबद्ध रहेंगे और उन पर विभागीय जांच की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
इस कार्रवाई से जेल प्रशासन में एक कड़ा संदेश गया है कि किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार या कर्मचारी उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जेल जैसी संवेदनशील जगह पर कार्यरत कर्मियों का मनोबल बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है, और ऐसे कदम उसी दिशा में आवश्यक हैं।