
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल में व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। इसमें ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने से लेकर फ्लू ओपीडी शुरू करने जैसी कई अहम पहलें शामिल हैं। इसका मकसद यह है कि कोविड या फ्लू से पीड़ित मरीजों को समय रहते प्रभावी उपचार मिल सके।
ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता में इजाफा
फिलहाल दून मेडिकल कॉलेज में प्रति मिनट 10,000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 12,000 लीटर प्रति मिनट किया जा रहा है। कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.एस. बिष्ट ने बताया कि यहां तीन ऑक्सीजन प्लांट कार्यरत हैं, जो आईसीयू, वार्ड और ऑपरेशन थिएटर तक ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। हालांकि तकनीकी कारणों से दो पीएसए प्लांट अस्थायी रूप से बंद हैं, जिन्हें जल्द ठीक कर फिर से शुरू किया जाएगा।
फ्लू ओपीडी की तैयारी पूरी
संभावित कोविड संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल में फ्लू ओपीडी भी जल्द शुरू की जा रही है। पीआरओ कक्ष में इस ओपीडी के लिए अलग प्रवेश द्वार बनाया जा रहा है, ताकि फ्लू या कोविड जैसे लक्षण वाले मरीजों को अन्य मरीजों से अलग रखा जा सके और संक्रमण फैलने का खतरा कम हो।
आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य
अब फ्लू जैसे लक्षणों वाले सभी मरीजों की आरटीपीसीआर जांच अनिवार्य कर दी गई है। इस जांच के लिए अस्पताल में लगभग 200 किट उपलब्ध हैं, जिनसे 20,000 तक सैंपल टेस्ट किए जा सकते हैं। जांच के लिए ओपीडी के बाहर विशेष व्यवस्था की गई है ताकि संक्रमण का प्रसार रोका जा सके।
आयुष्मान विंग में कोविड वार्ड
कोविड संक्रमित मरीजों के लिए दून मेडिकल कॉलेज की आयुष्मान विंग में अलग से वार्ड बनाया गया है। यहां फिलहाल 30 बेड तैयार किए गए हैं और आवश्यकता पड़ने पर संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके लिए अतिरिक्त स्थान भी पहले से चिन्हित किया जा चुका है।
जिला चिकित्सालय में भी फ्लू ओपीडी शुरू
कोरोनेशन अस्पताल (जिला चिकित्सालय) में भी फ्लू ओपीडी शुरू कर दी गई है। सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण वाले मरीज अब यहां इलाज के लिए आ सकते हैं। आरटीपीसीआर जांच के साथ-साथ एंटीजन किट्स भी यहां उपलब्ध हैं। साथ ही अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पीएसए प्लांट और सिलिंडर भी तैयार हैं।
वायरस के म्यूटेशन पर नजर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि अगर किसी क्षेत्र में कोविड, इन्फ्लूएंजा या सार्स जैसे संक्रमण के क्लस्टर सामने आते हैं, तो वहां तत्काल जांच और रोकथाम की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही सभी अस्पतालों को दवाइयों, ऑक्सीजन सिलिंडर और वेंटिलेटर जैसी जरूरी सुविधाओं की उपलब्धता बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना के म्यूटेशन की निगरानी के लिए संक्रमित मरीजों के सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी। इस कार्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज की मदद ली जाएगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई संस्था सरकारी गाइडलाइन का उल्लंघन करती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।