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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि बिहार में वोट चोरी और जमीन की चोरी का खेल अब भी खुलेआम जारी है। उनका मानना है कि इसे रोकने के लिए मोदी-नीतीश की डबल इंजन सरकार को सत्ता से हटाना जरूरी है। भट्टाचार्य ने कहा कि एसआईआर के नाम पर वोटबंदी और वोट चोरी के खिलाफ बिहार में हुए आंदोलन के चलते अब मतदाता सूची में दस में से नौ लोगों के नाम बने हुए हैं। अगर यह आंदोलन नहीं हुआ होता तो दस में से केवल पांच लोगों के नाम ही बने होते।

भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि नीतीश सरकार ने पहले 94 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये देने का वादा किया था, लेकिन अब वह पलटी मार चुकी है। वे आरोप लगाते हैं कि सरकार अब सिर्फ दस हजार रुपये देकर वोट खरीदने की कोशिश कर रही है। यह बयान उन्होंने रविवार को सतमलपुर प्रखंड में पार्टी के विधानसभा स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिया। सम्मेलन की अध्यक्षता जिला सचिव प्रो. उमेश कुमार ने की।

माले महासचिव ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की लूट और उत्पीड़न पर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। उनका कहना है कि इसी वजह से कई परिवार आत्महत्या या पलायन को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि महागठबंधन ने बिहार में महिलाओं को हर महीने ढाई हजार रुपये देने का वादा किया है, और राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन को चुनाव से पहले 1100 रुपये और 125 यूनिट फ्री बिजली देने की घोषणा भी आंदोलन की जीत है।

भट्टाचार्य ने भागलपुर के पीरपैंती में अडानी को एक रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन देने का जिक्र करते हुए कहा कि नीतीश सरकार गरीबों की जमीन छीनकर बड़े समूहों को दे रही है। गरीबों के लिए जमीन नहीं है, लेकिन उनके ऊपर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं।

पूर्व विधायिका और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मंजू प्रकाश ने कहा कि बिहार की गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और सरकार की लूट-झूठ के खिलाफ उन्होंने लंबे समय से सवाल उठाए हैं। उन्होंने भाजपा और चुनाव आयोग की वोट चोरी और अडानी की जमीन लूट को भी मुद्दा बनाया, लेकिन सरकार ने इन सवालों का जवाब नहीं दिया। अब उनका मानना है कि इस सरकार को बदलने का समय आ गया है।

विधान पार्षद शशि यादव ने कहा कि बिहार में सरकार का अहंकार इतना बढ़ गया है कि जनता के सवालों को सुनने की बजाय लाठी-गोली से दबाया जा रहा है। उन्होंने महिलाओं, खासकर आंगनबाड़ी, आशा और रसोईया कर्मियों के संघर्ष की तारीफ की, जिन्होंने अपने हक के लिए संघर्ष किया।

उन्होंने बिहार की महिलाओं से अपील की कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्ज और उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट हों और नारा लगाएं: “दस हजार में दम नहीं, कर्ज माफी से कम नहीं।”

सम्मेलन को केंद्रीय कमेटी सदस्य संतोष सहर, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के जिला सचिव जीवछ पासवान, ऐपवा नेत्री वंदना सिंह, आइसा राज्य सचिव प्रीति कुमारी, वारिसनगर के पूर्व प्रत्याशी फूलबाबू सिंह, कल्याणपुर के प्रत्याशी रंजीत कुमार, माकपा नेता एस.एम. इमाम, और राजद के जिला महासचिव राकेश कुमार ने भी संबोधित किया।

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