
Prabhat Vaibhav, Digital Desk : आज पितृपक्ष का सातवां दिन है और इस दिन सप्तमी श्राद्ध किया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पितृपक्ष में पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व होता है। भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन अमावस्या तक चलने वाला यह समय पितरों को स्मरण करने और उन्हें तृप्त करने का अवसर माना जाता है।
सप्तमी श्राद्ध 2025 की तिथि और मुहूर्त
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 13 सितम्बर 2025, सुबह 07:23 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त: 14 सितम्बर 2025, सुबह 05:04 बजे
श्राद्ध के मुख्य मुहूर्त:
कुतुप मुहूर्त: 11:52 AM – 12:42 PM (50 मिनट)
रौहिण मुहूर्त: 12:42 PM – 01:31 PM (50 मिनट)
अपराह्न काल: 01:31 PM – 04:00 PM (2 घंटे 29 मिनट)
इन तीनों में से किसी भी समय श्राद्ध कर्म करना शुभ और फलदायी माना जाता है।
सप्तमी श्राद्ध किनके लिए किया जाता है?
सप्तमी श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि को हुई हो। यह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों की सप्तमी के लिए मान्य है।
श्राद्ध की विधि और महत्व
तर्पण विधि
तर्पण में जल, दूध, तिल, कुश और फूल अर्पित किए जाते हैं।
यह पितरों की आत्मा की शांति और संतोष का साधन है।
तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करना चाहिए, क्योंकि पितरों का स्थान दक्षिण दिशा में माना गया है।
पिंडदान
चावल, जौ, आटा या खीर से बने पिंड अर्पित किए जाते हैं।
यह पितरों को तृप्त करने और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का सबसे महत्वपूर्ण कर्म है।
पिंडदान पवित्र नदी, तालाब या घर पर भी योग्य पंडित की देखरेख में किया जा सकता है।
दान का महत्व
श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोजन कराना, वस्त्र देना, दक्षिणा देना, अथवा सामर्थ्य अनुसार गाय, छाता या जूते का दान करना शुभ माना गया है।
पितृपक्ष में किया गया दान न केवल पितरों की आत्मा को तृप्त करता है बल्कि परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य भी लाता है।