
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान शारदा विश्वविद्यालय ने तुर्किए के दो विश्वविद्यालयों के साथ पूर्व में किए गए अपने समझौतों को रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद अब तुर्किए से आने वाले नए छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मौजूदा समय में शारदा विश्वविद्यालय में तुर्किए के लगभग 15 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिन पर इस निर्णय का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शारदा विश्वविद्यालय से पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) ने भी तुर्किए के विश्वविद्यालयों से अपने समझौते समाप्त कर दिए थे। अब इस सूची में शारदा विश्वविद्यालय का नाम भी जुड़ गया है। हालांकि, इस फैसले के पीछे स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है, लेकिन शैक्षणिक विशेषज्ञ इसे दोनों देशों के बीच बदलते राजनीतिक और शैक्षिक संबंधों से जोड़कर देख रहे हैं।
तुर्किए के छात्रों का भारत में पढ़ाई के प्रति आकर्षण लगातार बढ़ा था, लेकिन हाल के समय में विश्वविद्यालयों द्वारा करार खत्म करने के फैसले से तुर्किए के छात्रों के लिए भारतीय शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई के अवसर सीमित होते जा रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संवाद भी प्रभावित होने की संभावना है।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वविद्यालयों के ऐसे कदम दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं और भारत तथा तुर्किए के बीच उच्च शिक्षा संबंधी योजनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।