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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पिछले कुछ वर्षों में दिल के दौरे के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। दिल का दौरा या मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (एमआई) तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है। यह स्थिति गंभीर होती है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण हृदय की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। यह समस्या आमतौर पर कोरोनरी धमनी में रुकावट के कारण होती है।

कभी-कभी दिल का दौरा बिना किसी गंभीर लक्षण के भी पड़ सकता है, जिसे साइलेंट हार्ट अटैक कहते हैं। यह इतना खतरनाक होता है कि लोगों को अक्सर इसके बारे में तभी पता चलता है जब वे ईसीजी या स्ट्रेस टेस्ट करवाते हैं और डॉक्टर को दिल को नुकसान पहुँचने के लक्षण दिखाई देते हैं।

साइलेंट हार्ट अटैक को कैसे पहचानें?

साइलेंट हार्ट अटैक में हमेशा सीने में तेज़ दर्द जैसे पारंपरिक लक्षण नहीं होते। इसके बजाय, ये हल्के थकान, अपच, या थोड़े समय के लिए साँस लेने में तकलीफ़ जैसे सामान्य लक्षणों के साथ भी हो सकते हैं। लोग अक्सर इन्हें मामूली समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि ये गंभीर हो सकते हैं।

सबसे ज्यादा जोखिम किसे है?

2023 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा ज़्यादा होता है, क्योंकि इस स्थिति में लक्षण दिखाई नहीं देते। उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित वृद्ध लोगों को भी इसका खतरा होता है। इसके अलावा, मधुमेह रोगियों को पहले से ही नसों में समस्या होती है, जिससे उन्हें भी खतरा होता है। उच्च रक्तचाप वाले लोगों में भी कमज़ोर रक्त वाहिकाओं के कारण समस्याएँ जल्दी विकसित हो सकती हैं।

आप बचाव कैसे करेंगे?

दिल के दौरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका समय पर जीवनशैली में बदलाव लाना है।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें: लम्बे समय तक उच्च कोलेस्ट्रॉल धमनियों को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

संतुलित आहार लें: ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिनमें फाइबर ज़्यादा हो और ट्रांस फैट कम हो। अपने आहार में ताज़ी सब्ज़ियाँ, फल और प्रोटीन शामिल करें।

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें: प्रतिदिन व्यायाम करें, अपने वजन पर नियंत्रण रखें और धूम्रपान से बचें।

शराब का सेवन कम करें: अत्यधिक शराब पीने से रक्तचाप और ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ जाते हैं, जो दिल के दौरे के लिए जोखिम कारक हैं।

नियमित स्वास्थ्य जांच: आपको समय-समय पर अपने रक्तचाप, शर्करा और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवानी चाहिए।

साइलेंट हार्ट अटैक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ से पीड़ित लोगों में 70 से 80 प्रतिशत इस्केमिक घटनाएँ बिना किसी लक्षण के होती हैं। ट्रेडमिल परीक्षण के दौरान 2 से 4 प्रतिशत मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में साइलेंट इस्केमिया पाया गया है। कुल मायोकार्डियल इंफ़ार्कशन के मामलों में साइलेंट हार्ट अटैक 20 से 30 प्रतिशत होते हैं। याद रखें कि हार्ट अटैक हमेशा अचानक नहीं आते, ये शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचाते हैं, इसलिए शरीर के संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें और नियमित जाँच करवाते रहें। आज से ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ, क्योंकि सावधानी ही सुरक्षा है।