
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देवों के देव महादेव का निवास स्थान, कैलाश पर्वत, अब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का स्पष्ट प्रमाण बन रहा है। एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, कैलाश पर्वत के दक्षिणी हिस्से से बर्फ तेजी से गायब हो रही है, जिससे यह कभी बर्फ की सफेद चादर से ढका रहने वाला भाग अब पथरीला और बंजर दिखने लगा है। यह घटना वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के साथ-साथ हिंदू, बौद्ध, जैन और बौन धर्मों के अनुयायियों के लिए भी गहरी चिंता का विषय है।
कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान और ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है। यह लाखों भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। इसका बर्फ रहित होना केवल एक भौगोलिक परिवर्तन नहीं, बल्कि वैश्विक तापमान वृद्धि का सीधा परिणाम है, जो अब हमारे पवित्र और सबसे ऊंचाई वाले स्थलों को भी प्रभावित कर रहा है।
यह बदलाव न केवल कैलाश पर्वत की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों के पिघलने की तेज गति और जल स्रोतों पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की भी याद दिलाता है। हिमालयी ग्लेशियर एशिया की कई बड़ी नदियों के लिए पानी का स्रोत हैं, और उनके सिकुड़ने से लाखों लोगों के लिए पानी की उपलब्धता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
यह रिपोर्ट humanity के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गंभीर और तत्काल कदम उठाना कितना महत्वपूर्ण है। हमें अपनी धरती और उसके पवित्र स्थलों को बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इन अद्भुत प्राकृतिक और आध्यात्मिक विरासतों का अनुभव कर सकें।