
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : धराली के भूपेंद्र पंवार की जिंदगी एक भयानक सैलाब से बाल-बाल बच गई। मंगलवार दोपहर लगभग 1:20 बजे, जब खीर गंगा का पानी सामान्य बहाव में था, अचानक तेज गर्जना के साथ सैलाब ने धराली पर कहर बरपा दिया। उस खौफनाक पल में भूपेंद्र मौत के बेहद करीब थे। अगर वे थोड़ी सी भी चूक करते तो सैलाब की तेज़ धार उन्हें निगल लेती।
गुरुवार को भूपेंद्र पैदल धराली से मुखवा पहुंचे और फिर हर्षिल। वहां से हेलीकॉप्टर के जरिए उन्हें मातली (उत्तरकाशी) लाया गया। मातली हेलीपैड पर जब उन्होंने अपनों को देखा तो भावुक होकर वे फूट-फूटकर रो पड़े। उनके साथ साधी अरविंद उनियाल और सोहन पाल खरोला थे, जिन्होंने उन्हें सहारा दिया और तिलोथ स्थित उनके कमरे तक पहुँचाया।
मलबे के नीचे दफन हो गया दो करोड़ का सपना
भूपेंद्र ने बताया कि जिस वीडियो में लोग काली कार के पास भागते दिख रहे हैं, उसमें वे भी शामिल थे। अगर वे उस वक्त रुकते, तो शायद आज जीवित नहीं होते। उनकी आवाज में कंपकंपी थी जब उन्होंने कहा कि धराली में उनका सब कुछ तबाह हो गया — पुश्तैनी घर, रिसॉर्ट, बागीचा सब कुछ मिट्टी में मिल गया।
तबाही से कुछ मिनट पहले भूपेंद्र अपनी पत्नी राखी पंवार से फोन पर बात कर रहे थे। पानी थोड़ा बढ़ा था, पर उन्हें खतरे का अंदाजा नहीं था। एक भेड़-बकरी पालक से पूछने पर उन्हें आश्वासन मिला कि झिंडा बुग्याल सुरक्षित है। लेकिन कुछ ही समय बाद तेज गर्जना हुई और सब कुछ तबाह हो गया।
राखी की टूटी हुई उम्मीदें
राखी बताती हैं कि उस दिन दोपहर के बाद से उनका पति से संपर्क नहीं हो पाया था। मोबाइल बंद था और आसपास डरावनी खबरें फैल रही थीं। किसी भी राहत सूची में उनका नाम नहीं था। गुरुवार सुबह कलेक्ट्रेट जाते हुए अचानक उनका फोन बजा। दूसरी तरफ भूपेंद्र थे। उन्होंने बताया कि वे हेलीकॉप्टर से मातली पहुंचने वाले हैं। उस एक कॉल ने राखी की धड़कनें बहाल कर दीं और उन्हें जीवन की नई उम्मीद दी।