
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इस बार खरीफ सीजन में किसानों को खाद की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। कृषि विभाग ने दावा किया है कि पूरे प्रदेश में यूरिया और डीएपी सहित सभी जरूरी उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण कर लिया गया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि राज्य में इस समय 15.96 लाख टन यूरिया और 5.86 लाख टन फास्फेटिक खाद (डीएपी, एनपीके) उपलब्ध हैं।
सरकार ने खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। खासकर सीमावर्ती जिलों में आपूर्ति की निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि किसी तरह की गड़बड़ी रोकी जा सके।
मंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी ज़रूरत के अनुसार समय पर खाद मिल सके, इसके लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। साथ ही, कालाबाजारी, अधिक दाम वसूली (ओवर रेटिंग), जबरन टैगिंग और औद्योगिक उपयोग जैसे मामलों पर भी खास निगरानी रखी जा रही है।
अनियमितता पर सख्ती:
अगर किसी विक्रेता द्वारा नीम कोटेड यूरिया का दुरुपयोग किया जाता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसी तरह, यदि कोई उर्वरक विक्रेता मुख्य खाद के साथ जबरन अन्य उत्पाद बेचता है, तो किसान जिले के कंट्रोल रूम या 0522-2209650 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
ब्रांड से भ्रमित न हों किसान:
सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे किसी विशेष ब्रांड के चक्कर में न पड़ें। भारत यूरिया या भारत डीएपी जैसे नामों से कई कंपनियों के उत्पाद मौजूद हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता एक जैसी है। किसान अपनी फसल की जरूरत के अनुसार ही उर्वरक खरीदें।
जिलावार खाद का भंडारण (टन में):
मंडल | यूरिया (टन) | फास्फेटिक (टन) |
---|---|---|
लखनऊ | 1,75,383 | 67,398 |
कानपुर | 1,27,581 | 56,856 |
प्रयागराज | 1,26,017 | 50,708 |
बरेली | 1,28,030 | 48,277 |
मुरादाबाद | 94,602 | 43,886 |
अयोध्या | 1,26,336 | 42,175 |
वाराणसी | 93,618 | 32,843 |
गोरखपुर | 1,05,728 | 34,434 |
आजमगढ़ | 78,788 | 28,546 |
अलीगढ़ | 95,189 | 28,405 |
देवीपाटन (गोंडा) | 87,113 | 24,727 |
मेरठ | 74,744 | 24,264 |
आगरा | 97,102 | 23,896 |
झांसी | 22,884 | 22,957 |
मीरजापुर | 33,299 | 19,910 |
बस्ती | 81,647 | 16,648 |
सहारनपुर | 24,453 | 11,487 |
चित्रकूटधाम | 23,934 | 8,863 |
कुल उपलब्धता:
यूरिया: 15,96,446 टन
फास्फेटिक (डीएपी-एनपीके): 5,86,278 टन
सरकार की इस तैयारी से उम्मीद है कि किसानों को इस बार खरीफ सीजन में खाद की कोई परेशानी नहीं होगी और वे पूरी ऊर्जा से खेती में जुट सकेंगे।