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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारत भूमि प्राचीन रहस्यों, अदम्य वास्तुकला और गहन खगोलीय ज्ञान का घर रही है। ऐसा ही एक अद्भुत रहस्य सदियों से वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और श्रद्धालुओं को अचंभित करता आ रहा है – 'शिव शक्ति रेखा'। यह एक ऐसी काल्पनिक रेखा है, जिस पर भारत के सात प्राचीन और महत्वपूर्ण शिव मंदिर भौगोलिक रूप से बिल्कुल एक सीधी रेखा में स्थित हैं। सोचिए, आठवीं सदी ईस्वी के आसपास, जब आधुनिक तकनीक और जीपीएस का कोई नामोनिशान नहीं था, तब हजारों किलोमीटर की दूरी पर बने इन मंदिरों को इस तरह एक सीधी रेखा (लगभग 79 डिग्री पूर्वी देशांतर पर) में कैसे स्थापित किया गया होगा?

ये सभी मंदिर 8वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व के आसपास पल्लव, चोल और चालुक्य राजवंशों द्वारा बनवाए गए थे, और इनकी स्थिति भौगोलिक रूप से एक ही अक्षांश-देशांतर (Longitude) पर एक सिद्ध सीधी रेखा में पाई गई है। यह प्राचीन भारत के खगोलीय, भौगोलिक और इंजीनियरिंग ज्ञान का एक ऐसा अद्भुत प्रमाण है, जिसकी कल्पना भी आधुनिक तकनीक के बिना करना मुश्किल है।

आइए जानें इस रहस्यमयी 'शिव शक्ति रेखा' पर स्थित इन सात मंदिरों के बारे में, उत्तर से दक्षिण की ओर:

हजारों किलोमीटर का सीधा जुड़ाव इन मंदिरों को सिर्फ भौगोलिक ही नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी आध्यात्मिक ऊर्जा से भी जोड़ता है। यह 'शिव शक्ति रेखा' न केवल एक खगोलीय उपलब्धि है, बल्कि एक शक्तिशाली ऊर्जा क्षेत्र भी माना जाता है, जहां शिव की दिव्यता और शक्ति का अनुभव किया जा सकता है। यह आज भी वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और श्रद्धालुओं के लिए एक गहन रहस्य बनी हुई है कि इतनी सटीकता से ये निर्माण उस प्राचीन काल में कैसे किए गए थे।