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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अगर आपको अचानक कानों में बजने या सीटी जैसी आवाज़ सुनाई दे, तो इसे हल्के में लेना बड़ी भूल हो सकती है। यह समस्या टिनिटस नामक बीमारी के कारण होती है। इसमें एक ऐसी आवाज़ होती है जिसे कोई दूसरा व्यक्ति नहीं सुन सकता। लोग अक्सर इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन यही लापरवाही धीरे-धीरे गंभीर समस्या का कारण बन सकती है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो व्यक्ति बहरेपन का शिकार भी हो सकता है और इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार, यह बीमारी कान की नसों में गड़बड़ी के कारण होती है। कभी-कभी कान में रुकावट, कम सुनाई देना, कान में संक्रमण, साइनस, हार्मोनल बदलाव, थायरॉइड और ब्रेन ट्यूमर जैसी स्थितियों में भी यह समस्या हो सकती है। साथ ही, हृदय रोग और रक्त संचार संबंधी संक्रमण भी इसका कारण बन सकते हैं।
ख़तरा कब बढ़ता है?
अगर टिनिटस को लगातार नजरअंदाज किया जाए तो यह बीमारी सुनने की क्षमता को पूरी तरह से खत्म कर सकती है। कई मामलों में मरीज फेशियल पैरालिसिस का भी शिकार हो जाते हैं। समस्या इतनी बढ़ जाती है कि मरीज डिप्रेशन में चला जाता है और आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। इस बीमारी का अभी तक कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन कुछ थेरेपी और दवाओं की मदद से इसे कम किया जा सकता है। इन दवाओं में ध्वनि आधारित थेरेपी शामिल है। जिसमें बाहरी शोर को बढ़ाकर कानों में होने वाले शोर को कम किया जाता है। इसके अलावा, व्यवहारिक और संज्ञानात्मक थेरेपी भी हैं जो तनाव, अवसाद और अनिद्रा से संबंधित टिनिटस में कारगर हैं। वहीं, एंटी-एंग्जायटी और एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं भी राहत दिला सकती हैं। इसके अलावा, योग और ध्यान भी इसे कम करने में मदद कर सकते हैं।
अनुसंधान क्या कहता है?
डेनमार्क विश्वविद्यालय के एक शोध में यह बात सामने आई है कि बढ़ता ट्रैफिक शोर भी टिनिटस का एक प्रमुख कारण है। जिन लोगों के घर व्यस्त सड़कों के पास हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा ज़्यादा होता है। शोध के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण कानों पर लगातार दबाव डालता है। जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है और सीटी बजने की समस्या होने लगती है। एक ही व्यक्ति 70 से 80 डेसिबल तक का शोर सहन कर सकता है, इससे ज़्यादा शोर कानों को नुकसान पहुँचा सकता है। कैब ड्राइवर और डिलीवरी बॉय को ख़ास तौर पर इसका ख़तरा ज़्यादा होता है।