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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पूर्वोत्तर रेलवे में अब उन कर्मचारियों की कुंडली तैयार की जाएगी जो वर्षों से एक ही पद या विभाग में टिके हुए हैं। रेलवे प्रशासन ने यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए उठाया है। हाल ही में पदभार संभालने वाले नए प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी (पीसीपीओ) मनोज कुमार ने गोरखपुर मुख्यालय के सभी विभागों, अनुभागों, कारखानों और स्कूलों से विस्तृत कर्मचारी जानकारी मांगी है।

इसके लिए एक प्रोफार्मा तैयार किया गया है, जिसमें हर कर्मचारी का नाम, पद, पद स्तर, वर्तमान विभाग में कार्यकाल, और वर्तमान कार्यभार की अवधि जैसी जानकारियाँ भरनी होंगी। उप मुख्य कार्मिक अधिकारी (मुख्यालय) ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे 31 अक्टूबर तक यह विवरण अनिवार्य रूप से भेज दें।

विभागों में मचा हड़कंप

पीसीपीओ के इस आदेश के बाद कर्मचारियों और कार्मिक विभाग में हलचल मच गई है। चर्चा है कि यह जांच सिर्फ कार्मिक विभाग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि रेलवे के अन्य प्रमुख विभागों में भी तैनात कर्मचारियों की जानकारी जुटाई जाएगी।

कार्मिक विभाग पहले से विवादों में

कार्मिक विभाग हाल ही में चर्चा में आया था जब 30 सितंबर को सहायक कार्मिक अधिकारी (ग्रुप बी) के 70 प्रतिशत चयन के लिए आयोजित साक्षात्कार अचानक निरस्त कर दिया गया। आधिकारिक तौर पर “प्रशासनिक कारणों” का हवाला दिया गया था, लेकिन सूत्रों का कहना है कि साक्षात्कार में अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं।

बात खुलने के बाद विभाग ने तुरंत साक्षात्कार रद्द कर दिया और कुछ ही समय बाद रेलवे बोर्ड ने तत्कालीन पीसीपीओ को मेडिकल लीव पर भेज दिया। उनकी जगह मनोज कुमार को नया पीसीपीओ बनाया गया, जो अब विभाग की कार्यशैली को अपने तरीके से सुधारने में जुटे हैं।

वर्षों से एक ही पद पर कर्मचारी

जानकारों का कहना है कि केवल कार्मिक विभाग ही नहीं, बल्कि रेलवे के स्कूलों, कारखानों और डिपो में भी कई कर्मचारी चार से पंद्रह साल तक एक ही पद पर कार्यरत हैं। गोरखपुर एरिया और पुल विभाग में भी कई लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारी लंबे समय से महत्वपूर्ण पदों पर जमे हुए हैं। शिकायतें तो समय-समय पर होती रही हैं, लेकिन अब तक उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

ऐसे में नई पहल से उम्मीद है कि लंबे समय से जमे कर्मचारियों की स्थिति की समीक्षा होगी और प्रशासनिक निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।