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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : H-1B वीज़ा शुल्क में 1,00,000 डॉलर की बढ़ोतरी के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अब इस वीज़ा के नियमों में बड़े बदलावों का ऐलान किया है। नए नियमों के मुताबिक, अब अमेरिकी कंपनियों को उच्च वेतन वाले और बेहद कुशल कर्मचारियों को प्राथमिकता देनी होगी। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने स्पष्ट किया है कि यह 1,00,000 डॉलर का शुल्क कोई वार्षिक शुल्क नहीं है, बल्कि एकमुश्त शुल्क है जो केवल नए आवेदनों पर लागू होगा। यह देखना बाकी है कि इस फैसले का भारत पर क्या असर पड़ता है, क्योंकि भारतीय पेशेवर ही H-1B वीज़ा के सबसे बड़े लाभार्थी हैं।

एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव: किन श्रमिकों को मिलेगी प्राथमिकता ?

23 सितंबर, 2025 को रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीज़ा नियमों में बदलाव का प्रस्ताव जारी किया है। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों में उच्च वेतन वाले और उच्च कुशल विदेशी कर्मचारियों को वरीयता देना है। यह कदम 'अमेरिका को फिर से महान बनाएँ' और 'अमेरिका फ़र्स्ट' एजेंडे का हिस्सा है।

100,000 डॉलर के शुल्क पर व्हाइट हाउस का स्पष्टीकरण

व्हाइट हाउस ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 100,000 डॉलर के शुल्क की घोषणा के बाद पैदा हुए भ्रम को स्पष्ट किया है। प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह शुल्क सालाना नहीं, बल्कि आवेदन के समय केवल एक बार ही देना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह नियम केवल नए आवेदकों पर लागू होता है और मौजूदा वीज़ा धारकों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

भारत ने अमेरिकी फैसले पर सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इस मुद्दे को निष्पक्ष और संतुलित तरीके से संभालेंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय उद्योग जगत ने एच-1बी कार्यक्रम से जुड़े कुछ मुद्दों पर प्रारंभिक विश्लेषण पहले ही प्रस्तुत कर दिया है। चूँकि भारत और अमेरिका दोनों के उद्योग नवाचार और रचनात्मकता में रुचि रखते हैं, इसलिए उम्मीद है कि इस मुद्दे पर आगे कोई सकारात्मक रास्ता निकलेगा।

यह देखना अभी बाकी है कि इन नए नियमों का भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन फिलहाल, ये बदलाव अमेरिका में अधिक कुशल और उच्च वेतन वाले पेशेवरों के पक्ष में प्रतीत होते हैं।