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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। जिन सीटों पर दोबारा मतदान होना है, वहां चुनाव आयोग ने कोई चूक न हो, इसके लिए खास तैयारी की है। सबसे अहम खबर यह है कि अब मतदान केंद्रों पर हर किसी के लिए मोबाइल फोन ले जाना बैन कर दिया गया है!

जी हां, आपने सही सुना! मतदाताओं से लेकर मतदान कर्मियों तक, पुलिस से लेकर चुनाव अधिकारियों तक – बूथ के 100 मीटर के दायरे में किसी को भी मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। सिर्फ कुछ खास मामलों में, जैसे पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) या सेक्टर अधिकारी (Sector Officer) को आधिकारिक ड्यूटी वाले फोन की अनुमति होगी, ताकि वे चुनाव आयोग को सीधे जानकारी दे सकें। यह नियम इसलिए लाया गया है ताकि वोटिंग प्रक्रिया की कोई फोटो या वीडियो न बनाई जा सके, न ही कोई बाहर से वोटर्स को प्रभावित कर सके या किसी भी तरह की धांधली को अंजाम दिया जा सके।

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। चुनाव आयोग ने पंचायत राज (निर्वाचन अपराध तथा निपटान) नियम 2004 की धारा-163 को लागू कर दिया है। यह एक बहुत ही सख्त नियम है। इसके लागू होने से चुनाव अधिकारी (Election Officer) को सीधे तौर पर पुलिस के सारे अधिकार मिल जाते हैं। सोचिए, एक अधिकारी जिसके पास पुलिस बल इस्तेमाल करने से लेकर गिरफ्तारी तक के अधिकार आ जाएं, तो चुनाव प्रक्रिया कितनी सुचारु हो जाएगी! पर्यवेक्षक और सुरक्षा अधिकारी भी अब कहीं ज्यादा सशक्त भूमिका में रहेंगे।

यह कदम इस बात का सीधा संकेत है कि आयोग इन चुनावों को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पूरी पारदर्शिता के साथ करवाना चाहता है। पहले जहां मतदान को प्रभावित करने या मतदाताओं को गुमराह करने की शिकायतें आती थीं, वहीं अब ऐसी कोई भी हरकत करने की हिम्मत नहीं होगी। यह प्रशासन की जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है। यह बदलाव आम जनता को भी यह विश्वास दिलाता है कि उनका वोट बिना किसी डर और दबाव के सही तरीके से डाला जा सकेगा।