
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश ने ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर से प्रदेश को 44,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली पांच प्रमुख तापीय विद्युत परियोजनाओं की सौगात दी। इन परियोजनाओं से न केवल प्रदेश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 24.89% का इजाफा होगा, बल्कि इससे औद्योगिक, कृषि और घरेलू विकास को नई ऊर्जा मिलेगी।
अब यूपी सिर्फ बिजली का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक प्रमुख उत्पादक राज्य बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री की पहल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्थायी ऊर्जा नीतियों ने राज्य को विकास की एक नई रफ्तार दी है। आने वाले वर्षों में हर घर तक रोशनी और हर खेत तक बिजली पहुंचाने का सपना साकार होता नजर आ रहा है।
ऊर्जा के क्षेत्र में यूपी की तरक्की:
2017 में प्रदेश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 15,916 मेगावाट थी, जो अब बढ़कर 24,868 मेगावाट हो चुकी है और 2025 के अंत तक यह 27,184 मेगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है। सभी नई परियोजनाएं सुपरक्रिटिकल तकनीक से लैस हैं, जिससे कम कोयले में ज्यादा बिजली और कम प्रदूषण के साथ उत्पादन संभव हो पाया है।
राजस्व में होगा इज़ाफा:
इन परियोजनाओं से उत्पादित बिजली का 75.11% हिस्सा उत्तर प्रदेश को मिलेगा जबकि 24.89% बिजली असम को जाएगी। इससे यूपी को राजस्व में भी बड़ा फायदा होगा। बेहतर बिजली आपूर्ति से किसानों को सस्ती सिंचाई, उद्योगों को निर्बाध उत्पादन और घरों को स्थायी बिजली मिलेगी।
रोज़गार और बुनियादी विकास:
इन परियोजनाओं ने हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर दिए हैं। साथ ही संबंधित क्षेत्रों में सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी विस्तार हुआ है। आगामी 10 वर्षों में राज्य में 10,795 मेगावाट तापीय और 28,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
योगी सरकार की उपलब्धियाँ एक नज़र में:
1.78 करोड़ से अधिक नए विद्युत कनेक्शन
1,21,324 राजस्व गांवों का विद्युतीकरण
13 बड़े तापीय संयंत्रों पर कार्य प्रगति पर (18,040 मेगावाट)
9,000 मेगावाट के संयंत्र पहले ही चालू
प्रमुख परियोजनाएं:
जवाहरपुर (2x660 MW) – ₹14,628 करोड़
घाटमपुर (1x660 MW) – ₹9,300 करोड़
पनकी (1x660 MW) – ₹8,300 करोड़
ओबरा-सी (2x660 MW) – ₹6,502 करोड़
खुर्जा (2x660 MW) – ₹5,544 करोड़
अब यूपी ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में यह भारत की ऊर्जा आपूर्ति का एक मजबूत आधार बन जाएगा।