
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में हुए पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका लगा है। जिला पंचायत सदस्य की 358 सीटों में से भाजपा ने 322 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 101 पर ही जीत हासिल कर सकी, जिससे उसकी सफलता दर 33% से कम रही। वहीं, कांग्रेस ने 198 सीटों पर चुनाव लड़ा और 138 सीटों पर जीत हासिल की, जो 70% से ज़्यादा की जीत दर दर्शाता है। बाकी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। ये नतीजे कांग्रेस के लिए उत्साहजनक हैं, जबकि भाजपा के लिए चिंता का विषय।
भाजपा का खराब प्रदर्शन
जिला पंचायत सदस्यों की कुल 358 सीटों में से भाजपा ने 322 सीटों पर अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारे थे। इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों के बावजूद, भाजपा केवल 101 सीटें ही जीत सकी। इसका सीधा सा मतलब है कि भाजपा की जीत का प्रतिशत 33% से भी कम रहा है, जो सत्तारूढ़ दल के लिए बेहद निराशाजनक प्रदर्शन है। भाजपा विधायक और वरिष्ठ नेता खजान दास ने भी इसकी पुष्टि की, हालाँकि उन्होंने यह भी बताया कि 23 उम्मीदवार भाजपा के समर्थन से जीते हैं।
कांग्रेस की प्रभावशाली जीत
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है। कांग्रेस ने 358 में से 198 सीटों पर अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से 138 पर जीत हासिल की। इस हिसाब से कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 70% से ज़्यादा रहा है, जो भाजपा के प्रदर्शन से दोगुने से भी ज़्यादा है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने एबीपी लाइव से बातचीत में इन आंकड़ों की पुष्टि की। ये नतीजे कांग्रेस के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत हैं और कार्यकर्ताओं में नया जोश भरेंगे।
कांग्रेस और भाजपा के अलावा, बाकी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इससे पता चलता है कि स्थानीय स्तर पर मतदाताओं ने दलगत राजनीति के अलावा व्यक्तिगत उम्मीदवारों की लोकप्रियता को भी महत्व दिया है। निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत दर्शाती है कि राज्य की राजनीति में जनता का रुझान अभी भी दलों के अलावा अन्य विकल्पों की ओर है।
आगे क्या ?
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा नेता खजान दास ने भले ही कहा हो कि वे राज्य के 12 के 12 जिलों में अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनाएंगे, लेकिन ये नतीजे भाजपा के लिए एक चेतावनी हैं। स्थानीय स्तर पर खराब प्रदर्शन का मतलब हो सकता है कि जनता में कुछ मुद्दों पर असंतोष है। कांग्रेस के लिए ये नतीजे एक नई ऊर्जा प्रदान करेंगे और अगले चुनावों का मार्ग प्रशस्त करेंगे।