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Prabhat Vaibhav,Digital Desk :  सोमवार, 26 मई 2025 को वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या एक साथ पड़ रही है। इस शुभ अवसर पर बिहार के सितुहर गांव में पंडित विष्णु कांत झा द्वारा एक विशेष महिला संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने इस व्रत की आध्यात्मिक महत्ता, धार्मिक परंपरा और पूजन विधि पर प्रकाश डाला।

व्रत का पौराणिक महत्व:
पंडित विष्णु कांत झा ने संगोष्ठी में बताया कि वट सावित्री व्रत स्त्रियों के लिए अत्यंत फलदायक और शुभ होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान की अकाल मृत्यु को टालकर यमराज से उनका जीवन वापस पाया था। वट वृक्ष के नीचे अमावस्या के दिन पूजा करने से पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

पूजन विधि और नियम:
पंडित जी ने बताया कि महिलाएं इस व्रत से एक दिन पूर्व उपवास का संकल्प लेकर, अमावस्या के दिन प्रातः स्नान आदि के बाद वट वृक्ष के नीचे जाकर विधिपूर्वक पंचोपचार से पूजा करें। पूजा में प्रसाद, धूप, दीप, रोली, मौली और फल अर्पित करें। व्रत कथा का श्रवण करें और सच्चे मन से प्रार्थना करें कि उनका दांपत्य जीवन सुखमय और अखंड सौभाग्य से परिपूर्ण रहे।

वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:
ज्योतिष गणना के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 बजे शुरू होकर 27 मई को प्रातः 08:31 बजे समाप्त होगी। अतः व्रत इसी दिन रखा जाएगा। यह संयोग इस वर्ष विशेष फलदायक माना गया है क्योंकि सोमवती अमावस्या भी इसी दिन पड़ रही है।