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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : एलोपैथी में कई बीमारियों का इलाज है, लेकिन एड्स, कैंसर जैसी कुछ बीमारियां अगर ध्यान न दिया जाए तो जानलेवा भी हो सकती हैं। आइए जानते हैं आयुर्वेद इस बारे में क्या कहता है।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों में तरह-तरह की बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। बड़े ही नहीं, बच्चे भी बड़ों वाली बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसीलिए विज्ञान भी लगातार तरक्की कर रहा है और असाध्य रोगों के लिए एलोपैथी में दवाइयां बनाई जा रही हैं। लेकिन आयुर्वेद भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है। इसका इतिहास 4000 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह शरीर की प्राणशक्ति के असंतुलन से उत्पन्न होने वाले रोगों के सिद्धांत पर आधारित है। आयुर्वेद का मानना ​​है कि शरीर में तीन दोष (वात, पित्त और कफ) होते हैं, इन दोषों का संतुलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। लेकिन क्या आयुर्वेद में कैंसर, एड्स और रोग प्रतिरोधक बीमारियों का इलाज संभव है? आइए जानते हैं शास्त्रों में इस बारे में क्या लिखा है।

कैंसर के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है?

कैंसर का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं, उन्हें लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो गया है। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आप जागरूक हों और समय रहते शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान दें तो कैंसर अब लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है। आयुर्वेद में कैंसर को लेकर अलग नजरिया है। आयुर्वेद कहता है कि आपका भोजन ही आपकी दवा है। आप क्या खा रहे हैं और कैसे खा रहे हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद कहता है कि कैंसर तब होता है जब शरीर के तीन दोष वात, पित्त और कफ बुरी तरह असंतुलित हो जाते हैं।

इसके अलावा शरीर में अम यानी विषैले तत्व जमा हो जाते हैं। ये सभी मिलकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं। आयुर्वेद में कुछ जड़ी-बूटियाँ हैं, जो कैंसर से लड़ने में मदद करती हैं। जैसे हल्दी, गिलोय, नीम, त्रिफला। इसके अलावा पंचकर्म थेरेपी से भी शरीर के अंदर की गंदगी साफ होती है।

क्या आयुर्वेद से एड्स का इलाज संभव है?

एड्स एक लाइलाज और जानलेवा बीमारी है। चार दशक बीत चुके हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सका है। एचआईवी एक वायरस है जो सही समय पर इलाज न होने पर एड्स का रूप ले लेता है। अगर शुरुआत में ही इसका पता चल जाए तो इसे एड्स में बदलने से रोका जा सकता है। एड्स में व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, ऐसे में आयुर्वेद में एड्स का कोई इलाज नहीं है, लेकिन मरीज अपना इम्यून सिस्टम मजबूत करके इससे लड़ जरूर सकता है।

आयुर्वेद एड्स का इलाज तो नहीं कर सकता, लेकिन यह प्रभावित व्यक्ति के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। आयुर्वेद का मानना ​​है कि एड्स से पीड़ित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाया जा सकता है, जिससे उसे बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है।

आयुर्वेद में प्रतिरक्षा रोगों का भी इलाज किया जाता है।

इम्यून डिजीज को ऑटोइम्यून डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपने ही शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर देता है। जिससे नुकसान होता है। आम तौर पर इम्यून सिस्टम का काम हमारे शरीर में बैक्टीरिया से लड़ना होता है, लेकिन इस मामले में वह अपने ही शरीर के अंगों को दुश्मन मान लेता है। इसके लिए आयुर्वेद में कई दवाइयां और जड़ी-बूटियां हैं, जिनके जरिए ऑटोइम्यून डिजीज का इलाज किया जा सकता है। इसमें योग के साथ आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन फायदेमंद माना जाता है।