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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अगर आप लखनऊ या कानपुर के बीच अक्सर सफ़र करते हैं, या फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के उन ज़िलों से आते-जाते हैं जहाँ से गुज़रने के लिए अभी तक आपको लखनऊ शहर के भीतर से भारी जाम से जूझना पड़ता था, तो आपके लिए एक बेहद अच्छी ख़बर है! लखनऊ का लंबा-चौड़ा 'आउटर रिंग रोड' अब सीधे कानपुर हाईवे (NH-27) से जुड़ गया है। यह जुड़ाव वाकई में गेम चेंजर साबित होने वाला है!

अब आपको कानपुर जाने के लिए या वहाँ से लखनऊ आने के लिए शहर के भीड़भाड़ वाले शहीद पथ, कानपुर रोड या सुलतानपुर रोड जैसे इलाकों से होकर गुज़रने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह पूरा सिस्टम अब और भी ज़्यादा आसान और तेज़ हो जाएगा। खास तौर पर बड़े ट्रकों और मालवाहकों के लिए तो यह वरदान जैसा है, क्योंकि उन्हें अब शहर के अंदर घुसकर भीड़ नहीं बढ़ानी पड़ेगी, बल्कि वे सीधे रिंग रोड के ज़रिए निकल जाएँगे।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधिकारियों ने बताया है कि 104 किलोमीटर लंबे आउटर रिंग रोड का यह आख़िरी 6 किलोमीटर का हिस्सा था, जो बक्शी का तालाब (BKT) इंटरसेक्शन से होते हुए सीधे कानपुर हाईवे को जोड़ेगा। इसके शुरू होने के साथ ही लखनऊ का आउटर रिंग रोड अब पूरी तरह से 'कनेक्टेड' हो गया है। आज यानी शुक्रवार से इस नए रूट से ट्रैफ़िक गुज़रना शुरू हो जाएगा, तो अपनी प्लानिंग इसी हिसाब से करें!

आप सोच रहे होंगे कि इसका क्या फ़ायदा होगा? सीधा फ़ायदा यह है कि कानपुर, रायबरेली, सुलतानपुर, अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों की ओर जाने-आने वाले वाहनों को अब लखनऊ के अंदर ट्रैफिक में फँसना नहीं पड़ेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पेट्रोल-डीज़ल का ख़र्च भी बचेगा और शहरों में प्रदूषण भी कम होगा। शहीद पथ और सुलतानपुर रोड पर भी गाड़ियों का दबाव कम होगा, जिससे उन रूट्स पर भी चलने वाले लोगों को राहत मिलेगी।

NHAI के परियोजना निदेशक सौरभ श्रीवास्तव ने जानकारी दी है कि आउटर रिंग रोड को बनाने में कुल 5500 करोड़ रुपये का भारी-भरकम खर्च आया है। लेकिन, इससे मिलने वाले फायदे अनमोल हैं - यह लखनऊ की यातायात व्यवस्था को हमेशा के लिए बदल देगा और उसे जाम-मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। तो, अपनी सीट बेल्ट बाँध लीजिए और अब बिना जाम के तेज़ सफ़र के लिए तैयार हो जाइए!