
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में विजन 2047 दस्तावेज़ पर चर्चा के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन और विरासत संरक्षण अब सिर्फ इतिहास को बचाने का काम नहीं रह गया, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और लोगों के लिए रोज़गार का एक बड़ा साधन बन चुका है।
उन्होंने बताया कि 1947 से 2017 के बीच राष्ट्रीय पर्यटन में यूपी की हिस्सेदारी 13.1% (2016) थी और सालभर में केवल 21 करोड़ पर्यटक आते थे। लेकिन 2017 के बाद की योजनाबद्ध कोशिशों से यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा और 2024 में हिस्सेदारी 19-20% से भी ऊपर पहुंच गई।
धार्मिक पर्यटन का नया स्वरूप
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुंभ में अकेले 66 करोड़ श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने पर्यटन में विश्व रिकॉर्ड बनाया। काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या धाम, ब्रज तीर्थ विकास परिषद, विन्ध्यवासिनी धाम जैसे कई धार्मिक स्थलों का कायाकल्प हुआ।
रामायण, कृष्ण, बौद्ध और शक्ति सर्किट का विकास लगातार जारी है। कपिलवस्तु में हेलीपोर्ट की सुविधा और भगवान बुद्ध की अस्थियों को वापस लाने का प्रयास प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत कर रहा है।
हाल ही में हांगकांग में भगवान बुद्ध से जुड़ा एक अस्थि कलश नीलामी के लिए रखा गया था, जिसे प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप से रोका गया और अब वह कपिलवस्तु में स्थापित होगा। इसके अलावा जैन परिपथ, वाइल्डलाइफ़ परिपथ, नेपाल से जुड़ाव और बुंदेलखंड-विंध्य में हेरिटेज टूरिज्म के नए क्षेत्र विकसित हो रहे हैं।
रोज़गार और विकास का नया अध्याय
सीएम ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या राम जन्मभूमि, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि, श्री बांके बिहारी धाम, मां विन्ध्यवासिनी धाम, चित्रकूट, नैमिषारण्य, सारनाथ, कुशीनगर, लुंबिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, कौशांबी और सोनभद्र जैसे पवित्र स्थल आज आम पर्यटकों के बीच भी लोकप्रिय हैं।
इनसे जुड़ा पर्यटन टैक्सी चालकों, फेरीवालों, फूल विक्रेताओं, मिठाई दुकानदारों, नाइयों और होटल व्यवसायियों तक, सभी के लिए आजीविका का साधन बन रहा है।
इस तरह, यूपी में विरासत संरक्षण की यह पहल विकास और रोजगार का नया अध्याय लिख रही है।