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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को गंभीरता से लेते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले छह महीनों तक प्रदेश के किसी भी सरकारी विभाग, निगम या स्थानीय निकाय में कोई भी कर्मचारी संगठन हड़ताल नहीं कर सकेगा।

असल में, सरकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के अंतर्गत आने वाले 42 जिलों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को निजी कंपनियों के हवाले करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। लेकिन इस फैसले का ज़ोरदार विरोध हो रहा है। ऊर्जा निगमों के कर्मचारी संगठन लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, पावर कॉरपोरेशन ने बिजली आपूर्ति को बनाए रखने के लिए वैकल्पिक इंतजाम शुरू कर दिए हैं और प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई भी की जा रही है।

पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बहिष्कार करने वाले 87 इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं। उनके वेतन रोकने और तबादलों जैसी सख्त कार्रवाई भी की जा रही है। बिजली आपूर्ति बाधित करने वालों की नौकरी तक जाने की नौबत आ सकती है।

सरकार को आशंका है कि जैसे ही निजीकरण का निर्णय लागू होगा, बिजली विभाग के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। और यदि ऐसा हुआ, तो अन्य विभागों के कर्मचारी भी उनके समर्थन में आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने "उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (ESMA)" लागू करते हुए अगले छह महीने के लिए किसी भी प्रकार की हड़ताल पर रोक लगा दी है।

प्रमुख सचिव (कार्मिक) एम. देवराज ने इस बारे में अधिसूचना जारी की है। ऊर्जा विभाग की तरफ से भी एस्मा के तहत पावर कॉरपोरेशन, विद्युत उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन, केस्को, मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल और यूपी रिन्यूवेब एंड ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (UPREV) में हड़ताल को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।