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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सोमवार, 21 जुलाई 2025 का दिन भारतीय संसद के लिए एक नाटकीय घटनाक्रम लेकर आया। दिन भर की कार्यवाही के बाद, शाम को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। लेकिन विपक्ष इस दावे को नकार रहा है और आरोप लगा रहा है कि यह दबाव में लिया गया फैसला था। इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए उस दिन दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे तक के घटनाक्रम को समझना ज़रूरी है, क्योंकि इन साढ़े तीन घंटों के दौरान हुआ घटनाक्रम शायद धनखड़ के इस्तीफे की पटकथा लिख रहा था।

दोपहर 1 बजे शुरू हुआ घटनाक्रम

संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। राज्यसभा में सभापति धनखड़ ने नए सांसदों का स्वागत किया और प्रश्नकाल शुरू हुआ। लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' और बिहार मतदाता सूची जैसे मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के बीच प्रश्नकाल समाप्त हो गया।

बीएसी बैठक और विवाद की शुरुआत: असली ड्रामा दोपहर 1 बजे शुरू हुआ जब राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक हुई। इस बैठक में सदन के कामकाज पर चर्चा होती है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा की मांग की। इस मुद्दे पर आम सहमति न बन पाने पर सभापति धनखड़ ने शाम 4:30 बजे दोबारा बैठक बुलाई।

समानांतर राजनीतिक दांवपेंच: इस दौरान संसद में अन्य गतिविधियाँ भी तेज़ रहीं। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पेश किया गया। राज्यसभा में 63 विपक्षी सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, अमित शाह और किरण रिजिजू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुँचे।

शाम 4 बजे के बाद नाटकीय मोड़ : शाम 4 बजे धनखड़ आसन पर लौटे और सदन को सूचित किया कि वह मंगलवार (22 जुलाई) को न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर अपना फैसला सुनाएँगे। इसके बाद, वह शाम 4:30 बजे होने वाली बीएसी की बैठक के लिए रवाना हो गए।

अंतिम अध्याय: मंत्रियों की अनुपस्थिति और इस्तीफ़ा शाम साढ़े चार बजे हुई बीएसी की बैठक में सभी विपक्षी नेता मौजूद थे, लेकिन सरकार की ओर से सदन के नेता जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू अनुपस्थित थे। उनकी जगह राज्य मंत्री एल. मुरुगन मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, धनखड़ ने दोनों वरिष्ठ मंत्रियों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया। जवाब मिला कि वे संसदीय कार्यों में व्यस्त थे। इस जवाब से नाराज़ जगदीप धनखड़ ने बैठक मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।

यह बैठक अधूरी ही रही, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कमरे में सरकार के सभी वरिष्ठ मंत्रियों की एक बड़ी बैठक शुरू हुई। यह बैठक लगभग ढाई घंटे तक चली। इस दौरान भाजपा और एनडीए के सभी राज्यसभा सांसदों को एक-एक करके बुलाया गया और उनसे एक कागज़ पर हस्ताक्षर करवाए गए।

उच्च स्तरीय बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और लगभग दो घंटे बाद जगदीप धनखड़ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी।

दिन भर की घटनाओं को मिलाकर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि वरिष्ठ मंत्रियों की अनुपस्थिति और समानांतर बैठकें उपराष्ट्रपति पर दबाव बनाने की एक रणनीति थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।